शंका
भेद विज्ञान का सही अर्थ कैसे जानें और अनुभव करें?
समाधान
आप का प्रश्न है कि भेद विज्ञान हमारी साधना का मूल है और एक क्षपक यानी जो मुनि है या श्रावक उनके जीवन में ऐसा क्या हो जाता है कि वे कुछ ही भव सीमित हो जाते हैं।
जीवन भर भेद विज्ञान की बातें करना और भेद विज्ञान का अनुभव करना, दोनों अलग-अलग चीजें हैं। भेद विज्ञान की बातें हर कोई कर सकता है लेकिन भेद विज्ञान का सच्चा अनुभव तो तब होता है जब कोई साधक या क्षपक सल्लेखना पूर्वक अपने देह को छोड़ता है। यह शरीर ऊपर के छिलके की तरह उतर जा जाता है और आत्मा का उत्साह उतना ही बरकरार रहता है। मेरे ख्याल से इसी भेद विज्ञान की अनुभूति से उनके भीतर की जो वास्तविक तपस्या होती है, सारे कर्म को नष्ट कर देती है और वह जीव या तो उसी भव में या तीसरे भव में या सातवें या आठवें भव में मोक्ष प्राप्त करता है।
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