व्यवहार जैनत्त्व में होने वाले निरन्तर ह्रास को कैसे रोकें?

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शंका

आप पद विहार द्वारा भारत भ्रमण करते हैं और हम लोग वाहन के द्वारा भारत में भ्रमण करते हैं। धर्म के माध्यम से, शिविरों के माध्यम से और पिछले २० वर्षों में मैंने तीन बार यह सर्वे किया है, ३० स्थानों का सर्वे किया- १० गांव, १० कस्बे, १० शहर- उसमें यह पाया गया कि निरन्तर ‘व्यवहार जैनत्त्व’ का ह्रास हो रहा है। सर्वाधिक व्यवहार जैनत्त्व गाँव में जीवित है। उससे कम कस्बे में है और सबसे कम शहर में है। जबकि यह सभी लोग मुनि संघ से जुड़े हुए हैं। जब कभी चातुर्मास होता है, शिविर लगता है, जुड़ते हैं, उनकी सद भावनायें हैं, वे दान देते हैं, लेकिन व्यवहार जैनत्त्व का निरन्तर ह्रास हो रहा है।

समाधान

देखिये, जैनत्त्व का यदि ह्रास है, तो निश्चित ही यह चिन्ता का विषय है। लेकिन मुझे केवल जैनत्त्व का ही ह्रास नहीं दिखता, मुझे तो मनुष्यत्व का ह्रास दिख रहा है। और इससे केवल जैन ही प्रभावित नहीं है, जन-जन प्रभावित है। यह कंज्यूमैरिज्म का दौर चल रहा है। उपभोक्तावादी संस्कृति, उपभोक्तावादी सोच और विचारधारा ने हमारे मूल्यों की प्रतिबद्धताओं को नष्ट भ्रष्ट कर दिया है। कुयें में भांग पड़ी हुई है, लोग उसके शिकार होते जा रहे हैं। उसका यह दुष्परिणाम है।

लोग आज धर्म सभाओं में आते हैं, हालाँकि धर्म सभाओं में आने वाले लोगों में इस प्रकार का ह्रास अपेक्षाकृत कम है, लेकिन जिस लोकजीवन में जीते है, वहाँ की व्यवस्थायें ही इतनी विचित्र हो गई कि लोगों के अन्दर भटकाव हो जाता है। अब लोगों के अन्दर की आकांक्षाएँ बड़ी तेजी से बढ़ने लगी हैं। उसे शान्त करना जरूरी है और यह आध्यात्मिक चेतना के जागरण से ही सम्भव होगा। तो हमें जन जागरण करने की जरूरत है। मानव मात्र में मानवता की प्रतिष्ठा करने की आवश्यकता है और उसके लिए एक आध्यात्मिक क्रांति की जरूरत है। एक ऐसी वैचारिक आध्यात्मिक क्रांति जो मनुष्य की चिंतनधारा को बदले, जो उसकी भोगवादी मनोवृत्ति को पलटकरके उसे अध्यात्मनिष्ठ बनाए। जीवन के सार और असार का ज्ञान करायें।

अगर ऐसा होता है, तो निश्चित है एक बहुत बड़े परिवर्तन की शुरुआत होगी पर मुझे ऐसा नहीं लगता कि कभी ऐसी कोई घड़ी आए कि एक साथ सामूहिक रूप से सारी दुनिया परिवर्तित हो जाए। व्यक्ति के परिवर्तन से ही समाज में परिवर्तन होता है इसलिए हम व्यक्ति से परिवर्तन की तैयारी करें। व्यक्ति व्यक्ति के बदलने से एक दिन समाज की भी तस्वीर निश्चित बदलेगी।

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