किस प्रकार किसी साधक की समाधी की साधना कराएं?

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शंका

किस प्रकार किसी साधक की समाधी की साधना कराएं?

समाधान

जैन धर्म में समाधि की साधना को एक उत्कृष्ट साधना बताया है और इस साधना को आध्यात्मिक साधना का रूप देते हुए, जिस साधक की साधना चल रही है उसे किसी भी प्रकार का व्यवधान-कठिनाई-परेशानी ना हो इसका ध्यान रखने का विधान किया है। एक मुनि महाराज की समाधि की साधना में या सल्लेखना में उनकी परिचर्या में ४८ मुनियों तक की व्यवस्था की गई है। सल्लेखना समाधि में किसी प्रकार का शोर शराबा नहीं, दबाव-प्रभाव नहीं, उस सल्लेखना की साधना करने वाले साधक को साधक या छपक कहा जाता है। उसके लिए उसके शरीर की जैसे आवश्यकता वैसी सेवा सुश्रुषा करते हुए उसके तन और मन को किसी प्रकार का खेद ना हो, इस बात की सावधानी रखते हुए समय समय पर उसे धर्म की बातें सुना कर उसके अंदर के सत्व और उत्साह को प्रकट करते हुए, उभारते हुए, ज्ञान के अमृत से उसे सन्तृप्त करते हुए उसकी सेवा करने का विधान किया गया है।

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