भावों की शुद्धि कैसे करें?

150 150 admin
शंका

अपने भाव को सुधारने के लिए क्या त्याग और तपस्या ही जरूरी है, या कोई और उपाय है जिसके द्वारा हम अपना भाव सुधार कर सकते हैं?

समाधान

बहुत अच्छा सवाल है। सबसे पहली बात तो मैं कहूँ कि हमारी जो मूल भाषा है, उसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए, मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए, स्वदेशी भाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। संस्कृत में हमारी संस्कृति छिपी है, प्राकृत हमारी प्रकृति से जुड़ी है। हमें अपने प्रकृति और संस्कृति को संभालना है, तो प्राकृत और संस्कृत को जरूर सीखें। इससे हम अपनी सांस्कृतिक परम्परा का बोध कर सकते हैं। 

दूसरी बात मैं कहूँ कि विश्व की सब भाषाओं के अर्थ बदल सकते हैं, लेकिन संस्कृत भाषा एक ऐसी भाषा है जिसका किसी भी देश काल की सीमा में अर्थ परिवर्तन नहीं हो सकता। विश्व की सबसे ज़्यादा अनुशासित भाषा यदि कोई है, तो संस्कृत है। इसलिए तुम भूल कर मत छोड़ना, संस्कृत अवश्य सीखना। मैं तो कहता हूँ अंग्रेजी भी सीखिए, अन्य भाषाएँ भी सीखिए। मनुष्य के पास जब तक अवसर और अनुकूलता है, अधिक से अधिक भाषाएँ सीखिए। दुनिया की सारी भाषाओं को सीखो, लेकिन उन भाषाओं को अपना माध्यम मत बनाओ। माध्यम अपनी मातृभाषा को बनाओ। उससे जितने आसानी से आप बात सीख सकते हो, उतना दूसरी भाषा के माध्यम से नहीं। 

आजकल ये परम्परा बन गई, ट्रेंड बन गया उसका नतीजा ये निकला है कि आज की पीढ़ी को न हिंदी ढंग से आती न अंग्रेजी ढंग से आती। खिचड़ी हो गए, बोलचाल में हिंदी बोलना है, स्कूल में पढ़ना अंग्रेजी है। अंग्रेजी में हिंदी घुसाएँगे, हिंदी में अंग्रेजी घुसाएँगे। वो हिंगलिश हो जाती है, खिचड़ी पकती है। मेरे सम्पर्क में ऐसे अनेक लोग हैं जो हिंदी भाषा में पढ़े हैं, लेकिन उनकी अंग्रेजी इतनी नैसर्गिक अंग्रेजी है, इतना अच्छा अंग्रेजी बोलते हैं, उसका उच्चारण, उसका फ्लो, pronunciation बहुत अच्छा है, तो हमें उसे सीखना चाहिए। अंग्रेजी सीखो क्योंकि वो एक सहायता देती है भारत से बाहर जाने पर और भारत में भी कुछ प्रांतों में अंग्रेजी बहुत सहायक होती है। लेकिन ‘अंग्रेजी मेरी प्रतिष्ठा का आधार है’- ऐसा मानने की भूल मत करना। ये अंग्रेजी मानसिकता का परिणाम है। मुझे तब बड़ा आश्चर्य होता है जब लोग एक दूसरे से बात करते रहते हैं और बात करते-करते, करते-करते अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए अंग्रेजी के वाक्य बोलना शुरू कर देते हैं। अरे भैया, तेरी हिंदी में क्या कमी है? सामने वाला जब हिंदी समझ रहा है, तो अंग्रेजी क्यों पटर-पटर कर रहा है? हिंदी में बोलो। अपनी मूल भाषा को हमें पहचानना चाहिए।

Share

Leave a Reply