कैसे बनायें खुदको सुन्दर?

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शंका

आज के जीवन में सुंदरता को बहुत महत्त्व दिया जाता है। मैं यह जानना चाहती हूँ कि वास्तविकता में सुंदरता में क्या है? लोगों की बाहरी सुंदरता, रंगरूप सुंदरता, चमक-दमक यह सब सुंदरता की कैटेगरी मानी जाती है। सुंदर एवं असुंदर की रियल कैटेगरी क्या है, कृपया करके मार्गदर्शन दीजिए जिससे हम लोगों का भ्रम का निवारण हो सके और हम अपने जीवन को सुंदर बना सकें?

समाधान

सबसे पहले सुंदरता को हम समझते हैं तो सब बातें अपने आप स्पष्ट हो जाएँगी। सुंदर का मतलब क्या है? जो हमारे अन्दर सुअनुभूति दे, प्रसन्नता दे, आनन्द दे उसका नाम सुंदर है। आजकल लोग शारीरिक सुंदरता को ही सुंदरता मानते हैं और प्राय: ऐसे ही आकर्षण में मुग्ध होते हैं पर सच्चे अर्थों में केवल शरीर का सौंदर्य, सौंदर्य नहीं है, व्यक्तित्त्व में सुंदरता आनी चाहिए और व्यक्तित्त्व की सुंदरता उसके विचारों और व्यवहारों की सुंदरता से आती है। हमारी सोच सुंदर हो, हमारा नजरिया सुंदर हो, बोलने का तरीका सुंदर हो और हमारे काम करने का तरीका सुंदर हो, हमारा बिहेवियर सुंदर हो, ऐसे सौंदर्य के प्रति स्थाई आकर्षण होता है। मैं आपसे एक सवाल करता हूँ एक व्यक्ति है जो तन से बड़ा सुंदर है पर काम सारे असुंदर है; और दूसरा व्यक्ति है जिसके पास शारीरिक सौंदर्य तो नहीं है पर उसके विचार, उसका व्यवहार, उसकी बोली और उसके काम बड़े सुंदर हैं, मैं आपसे पूछता हूँ किसके प्रति आकर्षित होंगे? ईमानदारी से बोलना। सुंदरता ऊपर से दिखती है या दूसरा जब काम करे तो उसके सुंदरता तब दिखती है? किसका आकर्षण स्थाई रहेगा, पहले वाले का कि बाद वाले का? बाद वाले का ना? बस इसी का नाम सुंदरता है। 

चमड़ी की सुंदरता का असर तभी तक होता है जब तक निकट नहीं आते या उसे पा नहीं लेते; लेकिन गुणों की सुंदरता हमें दूर से ही खींचती है और एक बार पकड़ती है, तो छोड़ने का नाम नहीं लेती, समझ गये। हमें उस सौंदर्य को समझना चाहिये। 

फूल का सौंदर्य को हम लोग देखते हैं। प्राय: फूल के रूप को ही उसका सौंदर्य मानने का भ्रम पालते हैं लेकिन फूल का वह सौन्दर्य कितने दिन तक? आज खिला, कल मुरझाना है लेकिन फूल की सुगन्धी तो उसके सूख जाने के बाद भी रहती है। बात समझ में आ रही है। एक गुलाब है, जब तक डाल पर खिला था, उसका एक अलग आकर्षण था, वह सौंदर्य था लेकिन वह सौन्दर्य कब विलीन हो गया कोई पता नहीं लेकिन उसके सूख जाने के बाद भी उसकी पंखुड़ियों में भी सुगन्ध है। जो फूल का ऊपरी सौन्दर्य है वह चर्म का सौन्दर्य है और जो फूल की सुगन्ध है वह उसके गुणों का सौन्दर्य है, स्थायित्व गुणों के सौंदर्य में होता है इसलिए आत्मा को सुंदर बनाइए। अपने गुणों का विकास कीजिए, जीवन का गुणात्मक परिवर्तन होना चाहिए। इसलिए तन सुंदर है, तो क्या हुआ, मन सुंदर हो तो हम जानें।

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