दुर्लभ मनुष्य जीवन के समय का सदुपायोग कैसे करें?

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शंका

कहते हैं कि “जो अपना समय नष्ट करते हैं वे अपना जीवन नष्ट करते हैं।” यह तो हम सुनते हैं कि “हमें अपना धन का सदुपयोग करना चाहिए” पर यह सुनने में कम आता है कि “हमें अपने इस दुर्लभ समय का सदुपयोग करना चाहिए” तो जो मनुष्य जीवन इतना दुर्लभ हमें मिला है, तो इसमें हम अपने समय का कैसे सदुपयोग करें क्योंकि जब खाली समय में हमारा खाली दिमाग ऐसी बातों में जाता है, जहाँ हमें ज़्यादा इंटरटेनमेंट नजर आता है?

समाधान

धन तो खोने के बाद फिर से कमाया जा सकता है लेकिन समय खोने के बाद वापस नहीं लौटा सकते। समय का मूल्य तो धन से भी ऊँचा है, अपने समय का सही उपयोग करना चाहिए, उसका कभी मिस यूज (misuse) नहीं होने देना चाहिए। समय कभी लौटकर नहीं आएगा इसलिए जितना समय है उसका उपयोग करें। हमारी एक-एक सांस बहुत कीमती है लेकिन क्या करें, मनुष्य मेहनत करके धन कमाता है, उसका उसे मूल्य समझ में आता है, जीवन की सांसो का महत्त्व समझ में नहीं आता। जीवन की सांसों का पता उसे तब चलता है जब सांस उखड़ने को होती है, जब सांस छूटने लगती है तब ऐसा होता है। इसलिए टाइम मैनेजमेंट का ध्यान रखना चाहिए। बहुत सारे लोग हैं जो समय के प्रबंधन पर ध्यान देते हैं, टाइम मैनेजमेंट की बात करते हैं लेकिन उनका वह मैनेजमेंट भी उनके व्यापार व्यवसाय और प्रोफेशन से जुड़ा हुआ होता है। समय का प्रबंधन का मतलब केवल यह नहीं कि आप समय का उपयोग करें, समय के प्रबंधन का मतलब है समय का सही उपयोग करें और समय का सही उपयोग धन-पैसा कमाना, दौलत कमाना, शोहरत जुटाना ये नहीं है , समय का सही उपयोग अपने जीवन को सुधारना है, अपने जीवन को संवारना है, अपने जीवन को ऊँचा उठाना है, इसके प्रति भी हमारी जागरूकता होनी चाहिए। यह बात सही है कि इस बात पर चर्चा कम आती है लेकिन आप किसी भी प्रवचन की बात करोगे, सबका सार जीवन का सदुपयोग है, आत्मा का कल्याण है। आत्मा का कल्याण या जीवन का सदुपयोग समय का ही सदुपयोग है। हाँ, अगर इस पर थोड़ा ध्यान दिया जाए, समय निकल जाने के बाद भी लोग कुछ सम्भल जाए, आजकल स्थिति ऐसी दिखती है लोग टायर्ड हो जाते हैं पर अपने आप को रिटायर नहीं करते। समय के अनुरूप चलना चाहिए, समय के साथ आप चलेंगे तभी अपने जीवन में कुछ कर पाएँगे।

समय के सदुपयोग की लिए छोटी-छोटी कुछ बातें – जैसे आप अपना लक्ष्य बनायें कि मुझे इस मनुष्य जीवन को किस डायरेक्शन में लेकर जाना है। क्या मेरे जीवन की पूर्णता पढ़- लिख करके योग्य बनने में है, धन-पैसा जोड़ने में है, परिवार-परिजन को बढ़ाने में है, नाम-प्रतिष्ठा पाने में है या अपनी आत्मा के शुद्धिकरण में है, आप अपने भीतर इसका उत्तर खोजें! 

आत्म कल्याण हमारे जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है, तो इसके लिए आपको कितना जोर देना है, आप उस तरीके से तैयारी कीजिए कि “मैं अपने सांसारिक जीवन के लिए कितना समय दूँ और परमार्थिक जीवन के लिए कितना समय दूँ।” यदि एक व्यक्ति के जीवन की दो पारी मानें तो मैं इसे ५० से ६० साल तक की उम्र तक की पारी को पहली पारी कहता हूँ और ६० वर्ष के बाद की पारी को दूसरी पारी कहता हूँ। पहली पारी आप संसार और परिवार के लिए जियें, कम से कम दूसरी पारी को अपने लिए जियें क्योंकि अब आपके पास समय कम है। इस पारी में जितना आपके पास समय है उतना आप अपने लिए उपार्जित कीजिए। बचपन ज्ञानार्जन के लिए, जवानी धनार्जन के लिए तो बुढ़ापा पुण्य अर्जन के लिए सुरक्षित रख लेना चाहिए, उसमें कोई कमी न रहे। 

दूसरी बात ऐसे मौके पर अपना समय व्यर्थ के कार्यों में गवांने की जगह भगवान की पूजा- भक्ति में, स्वाध्याय में, सामायिक में, आत्म चिन्तन में, गुरुओं के समागम में, शक्ति अनुरूप व्रत-उपवास में और दान-पुण्य में बिताना चाहिए। लेकिन आजकल का ऐसा हिसाब हो गया है एक महिला के बारे में बताया कि वह अभी ७० साल की है और सात किटी अटेंड करती है। ७० साल की उम्र में भी सात किटी अटेंड करती है, क्या चस्का है, उसी में ही लगे रहेंगे। इन सब चीजों में कोई सार नहीं, अपने जीवन को मोड़ देने का जो प्रयत्न करते हैं, वही अपने जीवन में सफल होते हैं।

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