धर्म और विज्ञान में सामन्जस्य कैसे बिठाएँ?

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शंका

धर्म और विज्ञान में कैसे सामंजस्य बैठाया जाए? विज्ञान कहता है कि हमें आज में जीना चाहिए और धर्म कहता है कि हमें आगे के लिए पुण्य कमाना चाहिए?

समाधान

धर्म क्या है और विज्ञान क्या है? धर्म की शुरुआत श्रद्धा से होती है और विज्ञान की शुरुआत संदेह से होती है। धर्म अनुभव की बात करता है और विज्ञान खोज की बात करता है। विज्ञान बाहर देखता है और धर्म भीतर। भीतर जो भी तुम देखोगे, जानोगे वह श्रद्धा से ही जान पाओगे। बाहर जो भी जानोगे, देखोगे वह व्यक्ति को तर्क के माध्यम से जानने देखने में आता है, तो दोनों की अपनी-अपनी धारा है। 

तुमने पूछा है कि धर्म और विज्ञान में हम कैसे सामंजस्य बैठायें?- मैं ऐसे कह सकता हूँ कि जो भी अपनी बाहर की क्रिया करो उसकी युक्तिमत्ता को देखो, वो सही है या नहीं, हम केवल रूढ़ि से तो ऐसा नहीं कर रहे हैं? इसका मेरे जीवन में लाभ है या नहीं? देखोगे कि ये लाभ है। आज विज्ञान ने हमारे धर्म की आराधना में बहुत सारी अनुकूलतायें प्रदान की हैं; जैसे आज विज्ञान मानने लगा है कि पूजा-पाठ प्रार्थना-उपासना से हम अपने जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं और अस्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य लाभ भी कर सकते हैं। अमेरिका में ऐसे रिसर्च बहुत सारे हुए और वहाँ के १२५ मेडिकल यूनिवर्सिटीज हैं उनमें से ८५ में आज प्रार्थना को कोर्स में रख दिया गया है। डॉक्टर प्रार्थना को अपने प्रिसक्रिप्शन में भी लिख रहें हैं। 

धर्म की बात अनादि से चलती है, विज्ञान जब तक खोजता नहीं है तब तक उसे स्वीकार नहीं करता। दो चीजें हैं- एक है सामग्री और एक है सन्तुष्टि। सामग्री और सुविधा विज्ञान देता है और सन्तुष्टि और सुख हमें धर्म देता है। हमें क्या चाहिए, दोनों चीजों को ध्यान में रखना चाहिये।

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