संयुक्त परिवार में प्रेम कैसे रखें?

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शंका

संयुक्त परिवार में किस तरह जीना चाहिए कि आपस में प्रेम सद्भाव बना रहे?

समाधान

संयुक्त सपरिवार आज के समय में अपवाद स्वरूप देखने को मिलते हैं। एक बार एक सज्जन ने मुझसे कहा कि ‘महाराज जब  मैंने अपने बेटे की शादी की बात चलाई तो जैसे ही कहा कि ‘हमारी जॉइंट फैमली है’ तो महाराज वो ऐसे बोले “जॉइंट फैमली!”, मानो हमने कोई अपराध कर दिया है’- ये उल्टी सोच है। “वसुधैव कुटुम्बकम्” का संदेश देने वाले हिंदुस्तान की ऐसी दुर्दशा हो रही है कि आज कोई संयुक्त रूप से रहता है, तो उसको बहुत दिक्कत होगी। लेकिन बन्धुओं अब ये भी लोगों ने अच्छे तरीके से महसूस करना शुरू कर दिया कि एकल परिवार में स्वतंत्रता है और संयुक्त परिवार में सुरक्षा। जीवन स्वतंत्रता से नहीं चलता, सुरक्षा से चलता है। ये एक बहुत बड़ी जरूरत है और लोग इसका अनुभव करने लगे हैं। बहुत खुशी है कि तुम्हारा परिवार संयुक्त है और ये संयुक्त बना रहे, इसके लिए मैं आशीर्वाद देता हूँ। 

किसी भी परिवार में, संयुक्त परिवार में आपस का प्रेम और सद्भाव तब तक नहीं बनता जब तक एक दूसरे के गुणों को लोग प्रोत्साहित नहीं करते। नंबर वन-अगर किसी में कोई अच्छाई है, तो आप उसको appreciation दें। नंबर दो-धन्यवाद ज्ञापन- कोई भी आपके लिए थोड़ा भी सहयोग करें, thanks देना शुरू करो, आप उसके प्रति कृतज्ञता का भाव रखें-कृतज्ञता ज्ञापन। नंबर तीन- सहिष्णुता का भाव अपने मन में रखें। अगर किसी के द्वारा कोई गलती हो जाए तो उसको इग्नोर करने की भावना रखें, उसे उभारे नहीं। मानते हैं गलती होगी, सहिष्णु बन करके रहेंगे आपका प्रेम पलेगा, बढ़ेगा अगर आप असहिष्णु होंगे, असहनशील बन जाएँगे, आपका चित्त संकीर्ण बन जाएगा। आप काम नहीं कर पायेंगे। आप उदारता रखें, अपने की बात, ‘मैं’ की बात हटाए, ‘हम’ की बात सोचें। ‘मैं परिवार को चला रहा हूँ’- ऐसा मत सोचो, ‘हम परिवार को चला रहे हैं’- ऐसा सोचें। जब मैं से हम हो जाता है, मामला सब ठीक हो जाता है, कुछ भी गड़बड़ हो जाता है ठीक हो जाएगा। नंबर चार- त्याग की भावना रखें। जितना उत्कर्ष कर सके करें। परिवार को ठीक ढंग से चलाना है, तो ये समझें पारिवारिक लाभ के लिए किसी व्यक्तिगत रूप से कोई नुकसान भी हो तो उस नुकसान में लाभ देखें। ‘ये मेरा लाभ है नुकसान नहीं है।’ 

स्वार्थ की वृति से ऊपर उठें। उदारता को अपना कर के आप चलेंगे, आपके घर- परिवार में प्रेम और एकता रहेगी। पक्षपात पूर्ण रवैया से भी अपने आप को बचाएँ, ये गुण यदि किसी घर-परिवार में हो तो मैं मानता हूँ कि वो घर कभी बिखर नहीं सकता और जिनमें ये गुण नहीं होते उन्हें संभालना बहुत मुश्किल होता है।

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