बच्चों को संस्कार कैसे दें?

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शंका

आज के युग में आज के बच्चों को संस्कार किस तरह दिया जाए?

समाधान

आज के युग में आज के बच्चों को संस्कार बहुत मौलिक तरीके से देने की जरूरत है। उन्हें आप धर्म के संस्कार थोपें नहीं, धर्म के भाव जगाये। उन्हें धर्म की मौलिकता को बड़े तार्किक और युक्तिसंगत तरीके से समझाएँ। उन्हें यह बात बहुत अच्छे से समझाने की आवश्यकता है कि धर्म की हमारे जीवन में क्या उपादेयता है और यह हमारे जीवन का अंग बन जाए।

सन १९९५ में हम भोपाल में थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक पथ संचलन का कार्यक्रम था। वहाँ एक युवक मेरे पास आया जो आर एस एस का कभी प्रचारक हुआ करता था, जीवनधर भाई, उसके साथ उसका एक छोटा सा बच्चा था साल का। वह भी R.S.S. की ड्रेस में था, काली टोपी लगाए, सफ़ेद शर्ट और खादी पेंट पहने। हाथ में छोटी सी डण्डी भी वो लिए हुए था। मैंने पूछा- जीवनधर, तुम ये क्या कर रहे हो? बोला महाराज, ‘मैं इसको देश के लिए पाल रहा हूँ। मैं तो अपने पारिवारिक कारणों से राष्ट्र को समर्पित नहीं कर सका, प्रचारक होने के बाद भी मुझे विवाह करना पड़ा। पर मैं इसका अनुपालन राष्ट्र के लिए कर रहा हूँ।’ मैंने उस बच्चे से पूछा- “बेटे तुम्हारा नाम क्या है?” ‘जी मेरा नाम महावीर प्रसाद जैन है।’ मैंने पूछा “क्या तुम पापा की तरह शादी करोगे?” ‘महाराज जी मेरे पिताजी की शादी नहीं हुई, शादी में तो बर्बादी है। मेरे पिता का विवाह हुआ है।’ चार साल का बच्चा बोलता है-मेरे पिता का विवाह हुआ है, शादी नहीं हुई, शादी में तो बर्बादी है। फिर कुछ प्रसंग चला, मैंने कहा “तुम अभी निकले हो, क्या खाना खा लिया?” ‘महाराज जी! मैं खाना नहीं खाता, खाना तो दूसरे लोग( समुदाय विशेष)खाते हैं। हम तो भोजन करते हैं। यह संस्कार! 

बच्चों में उस तरीके से संस्कार भरें जिससे उनके भाषा और व्यवहार में भी परिवर्तन आ जाए तो बड़े होने के बाद फिर ज़्यादा कुछ कहने की आवश्यकता नहीं रहेगी।

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