बच्चों में नैतिकता कैसे लाएं?

150 150 admin
शंका

मैं दिल्ली में एक अध्यापिका के पद पर हूँ। मैं क्या करूँ कि मेरे विद्यालय के बच्चे धर्म प्रभावना से, नैतिकता से ओतप्रोत हो सकें और उनका आने वाला भविष्य उज्जवल ही उज्जवल हो?

समाधान

मैं तो कहूँगा इस सन्दर्भ में सबसे बड़ी जवाबदेही आप जैसे अध्यापकों पर ही है। अगर अध्यापक चरित्रवान हों, कर्तव्यनिष्ठ हों तो बच्चों पर उनका प्रभाव बहुत गहरा होता है। आपने अनुभव किया होगा कि बच्चे, और किसी की बात बाद में मानते हैं, पहले अपने टीचर की बात मानते हैं। जो टीचर है वह केवल किताबी ज्ञान न दें, किताबी ज्ञान के साथ उनको कुछ संस्कार भी दें। 

मेरे एक शिक्षक थे, वो बहुत ही संस्कार युक्त शिक्षा देते थे। एक दिन उनसे पूछा कि ३ और २, ५ ही क्यों होते हैं? उत्तर तो यही होगा कि ३ और २, ५ होते हैं इसलिए ५ होते हैं। आपसे अगर सवाल करूँगा तो आप भी शायद यही उत्तर देंगे कि ३ और २, ५ होते हैं इसलिए ५ होते हैं। उन्होंने जो जवाब दिया गजब का दिया। उन्होंने कहा किसी से लेते समय ६ न ले लो, किसी को देते समय ४ न दे दो, इसलिए ३ और २, ५ होते हैं। यह है बच्चों को ज्ञान देने का तरीका। आज विडम्बना यह है कि हमारे अध्यापक गण भी खुद गड़बड़ाए हुए हैं। और अब शिक्षक नहीं बचे, अब सब कुछ प्रोफेशनल हो गया है। यद्यपि अध्यापन एक पेशे के रूप में पुराने समय में भी रहा और ये एक उत्तरदायित्व भी है लेकिन सब चीजों में केवल पैसा ही जब प्रमुख हो जाएगा तो बाकी बातें गौण हो जाएगी। अध्यापन भी जिम्मेदार है, पाठ्यक्रम भी जिम्मेदार है, विद्यालयों का वातावरण भी जिम्मेदार है और अभिभावक सबसे ज़्यादा जिम्मेदार है। 

यशपाल जैन ने एक कहानी लिखी है, बच्चा स्कूल गया, पहले दिन पढ़ाया गया- सब जीवों पर दया करो। घर आया तो देखता है उसका बड़ा भाई एक अपाहिज भिखारी को डंडे से पीटते हुए घर से बाहर निकाल रहा है। दूसरे दिन स्कूल में पढ़ाया गया- सब जीवों से प्रेम करो। घर आया, देखता है किसी मसले पर उसके माता-पिता बुरी तरह झगड़ा कर रहे हैं। तीसरे दिन उसे स्कूल में पाठ पढ़ाया गया- सदा सत्य बोलो। घर आया, मकान मालिक किराया वसूलने के लिए आया, पूछा पिता जी कहाँ हैं? उसने पिता जी से पूछा, वो बोला, जाओ कह दो, पिताजी घर में नहीं हैं। बेटे ने कहा- “पापा आप तो हो, झूठ है”, वो बोले होगा। चौथे दिन जब बच्चे को स्कूल जाने के लिए कहा गया, तब बच्चे ने कहा- पापा मैं स्कूल नहीं जाऊँगा, क्योंकि गुरु जी ठीक नहीं पढ़ाते। बात समझ में आई कि नहीं? यह जो अव्यवस्था है इसको जब तक हम दूर नहीं करेंगे बातें केवल बातें हैं।

Share

Leave a Reply