बड़ों का सम्मान और छोटों का मान कैसे रखें?

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शंका

हम परिवार में रहते हैं तो हम से कई गलतियाँ होती हैंं। हम बड़ों का मान-सम्मान और छोटों का मान-सम्मान किस तरह से करें कि आगे की पीढ़ियाँ बहुत अच्छी चलती रहें?

समाधान

बड़ों को बहुमान दो और छोटों को वात्सल्य दो बहुमान और वात्सल्य इन दोनों में सब बातें आ जाती हैं। 

आज सुबह स्वाध्याय में मुनियों के समाचारी का विधान आया, औगिक और पद-विभागीय के भेद से दो प्रकार के समाचार बताये। उसमें औगिक समाचार के १० भेद है। मैंने उनको देखा, वह दसों के दसों भेद फैमिली मैनेजमेंट के बड़े आधार है। एक-दूसरे का विनय करना, एक-दूसरे को आदर देना, एक-दूसरे की अच्छी बात में प्रोत्साहित करना, कोई भी काम करो तो बड़ों से पूछकर के करना, जीवन में कोई अच्छाई पाओ तो उसका श्रेय बड़ों को दो, यह व्यवहार करो। अगर कोई गलती हो जाए तो उसे स्वीकार करो, अपने मन को धिक्कारो और उसकी पुनरावृत्ति न करने का संकल्प लो यह कुछ ऐसी चीजें हैं और एक-दूसरे के लिए अपने हृदय को व्यापक बनाओ। यह कहो कि यह सब तुम्हारा है, हम तुम्हारे हैं इससे आपस में प्रेम बढ़ता है। कहने का तात्पर्य है कि बड़ों को बहुमान दो। बहुमान शब्द बहुत ऊँचा शब्द है। हर कार्य उनकी सहमति से करो, उनकी अनुमति लेकर करो और बड़ा कार्य हो तो एक बार नहीं ३ बार पूछकर के करो। कोई भी बड़ी उपलब्धि पाओ तो उनका श्रेय उनको दे दो, क्रेडिट उनको दे दो। देखो, बड़े आपको कितना आशीर्वाद देते हैं। 

छोटे कोई भी अच्छा कार्य करें तो उन्हें प्रोत्साहित करो, उनकी गलतियों को अनदेखा करो, गलतियाँ होने पर उन्हें सजा देने की जगह सीख देना शुरू करो, प्रेम से उन्हें समझाओ और पुचकार के बताओ कि बेटे ऐसी गलतियाँ हो जाती है लेकिन यहाँ इस प्रकार की सावधानी रखने की आवश्यकता है। जब तक ऐसी सावधानी नहीं रखोगे तो इन गलतियों से मुक्ति नहीं मिलेगी। इन सब बातों को ध्यान में रखकर के आप चलेंगे तो घर परिवार में प्रेम का साम्राज्य स्थापित होगा और बड़े केवल बड़प्पन के नाम पर अपना अधिकार थोपेंगे तो छोटे अब बड़ो का खुला उपहास करना शुरू कर देंगे तो घर नरक बन जाएगा।

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