नरक आयु के बन्ध होने का पता कैसे लगता है?

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शंका

नरक आयु के बन्ध होने का पता कैसे लगता है?

समाधान

आगम में बताया है कि जिसे नर्क आयु का बन्ध हो गया, आयु बन्धने के बाद वह कोई व्रत-संयम अंङ्गीकार नहीं करता और यदि कोई व्रत-संयम अंङ्गीकार नहीं करता तो यह सोचा जा सकता है कि इसको खोटी आयु बन्ध गई होगी। 

मेरे संपर्क में एक व्यक्ति था, वह बड़ा व्यसनी था, उसकी सुबह की शुरुआत शराब से होती थी। धर्म के कार्यों में आगे रहता था, सबसे आगे की पंक्ति में बैठता था और दान धर्म भी बहुत करता था लेकिन शराब जैसे व्यसन का वह बुरी तरह शिकार था, उससे बच नहीं पाता था। एक दिन मैंने उसे समझाया तो उसने कहा “महाराज! यह तो अब मेरे पर्याय के साथ ही छूटेगी, इस जन्म में छूटने वाली नहीं”। उसकी बात सुनने के बाद मुझे लगा कि कहीं इसकी आयु न बन्ध गई हो। इतने अच्छे से धर्म सुनता, इतनी एकाग्रता से सुनता था कि अगर उससे व्याख्यान करा लो तो समय सार की व्याख्या कर दे। दान धर्म में अच्छे-अच्छे धर्मात्माओं से आगे रहता लेकिन शराब पीना उसके रोज का काम था, उसमें अन्य भी बुराईयाँ जुड़ी हुई थी। मेरे मन में आया कहीं इसकी आयु तो नहीं बन्ध गई ! इस बात के करीब छः महीने बाद घटी एक घटना ने मेरी धारणा को दृढ़ कर दिया। आगम का ऐसा विधान है कि जिसकी आयु बन्ध जाती है उसका अकाल मरण नहीं होता। उसके साथ ऐसी घटना घटी, वह बड़ा दबंग प्रकृति का था अपने इलाके का एक जमाने का डॉन भी था। उसने गाँव में लोगों को ब्याज पर पैसे दे रखे थे। एक गाँव में गया, ठाकुरों की बस्ती थी और वहाँ शराब के नशे में अकेले गया। लोगों ने पहले उसके ऊपर १२ बोर की बंदूक छाती पर अड़ा दी, बोले बंदूक मार दूँ। वह बोला मार दो, उसको विश्वास था कि मुझे कोई मारेगा नहीं यह मजाक कर रहे हैं। बंदूक छाती पर अड़ा कर के चलाई, आप सुनकर आश्चर्य करेंगे कारतूस अंदर ही फट गया, उसको बंदूक मारने से कुछ नहीं हुआ। तो उसको लोगों ने फरसा से मारा, पूरा सिर फट गया। वहाँ से भागा, एक महिला ने उसे बचाया। उसके घर में तीन चार घंटे उसके कपड़ों से अपना सिर बांधे बैठा रहा। लगभग चार घंटे के बाद एसपी आया, एसपी उसे अपनी कस्टडी में ले गया। हॉस्पिटलाईज हुआ, करीब तीस पैंतीस टांके लगे और शाम को जब लोग उससे अस्पताल में मिलने गए तो वह ताश खेल रहा था। उसको कुछ नहीं हुआ, वह आज भी इस दुनिया में है। तो मुझे लगा कि यह अकाल मृत्यु का इतना बड़ा योग इस जीव का टल गया निश्चित ही इसकी आयु बंधी हुई होगी, इसलिए टल गया।

तो मैं सब से यही कहना चाहता हूँ, जब तक तुम्हारे मन में व्रत संयम अंङ्गीकार करने के भाव हैं, तब तक मान करके चलना कि अभी खोटी आयु नहीं बन्धी और यदि तुम्हारे मन में व्रत संयम के भाव खत्म हो रहे हैं और व्रतियों के प्रति उपेक्षा का भाव आ रहा है तब समझ लेना खतरे की घंटी बज गई।

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