आत्मा और कर्म दिखते नहीं, इनका अनुभव कैसे करें?

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शंका

न हवा दिखती है, न गन्ध दिखती है, परन्तु दोनों को हम महसूस कर सकते हैं। जीव और कर्म दोनों नहीं दिखते। उन्हें हम कैसे देख सकते हैं या कैसे महसूस कर सकते हैं पाए ताकि उनमें विवेक रखा जा सके?

समाधान

कईं चीज़ें ऐसी हैं जो दिखती नहीं लेकिन महसूस होती हैं। आपको बल्ब का प्रकाश दिखता है, पर क्या विद्युत की धारा (current) दिखती है? नहीं! लेकिन बल्ब के प्रकाश से हम करंट का अनुमान लगाते हैं, “लाइट जल रही है यानि अभी विद्युत की धारा बह रही है।” टेस्टर से टेस्ट किया जाता है, इंडिकेटर दिखाता है, तो ठीक है, इसमें पावर है। फिर इलेक्ट्रीशियन बहुत सावधानी से काम करता है।

मतलब करंट का अनुमान हम लाइट से लगाते हैं। इसी प्रकार कर्म और आत्मा हमें दिखते नहीं लेकिन कर्म का प्रभाव हमें दिखता है। कर्म के प्रभाव को देखकर, कर्म का अनुमान लगायें और आत्मा की गतिविधियों को देख कर आत्मा का अनुमान लगायें। आत्मा नहीं होती तो आपकी हरकत नहीं होती और कर्म नहीं होता तो जीवन में विविधता नहीं होती, बस उसी से इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

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