मन्दिर में मन को स्थिर कैसे करें?

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शंका

मन्दिर में मन को स्थिर कैसे करें?

समाधान

कई बार अच्छे कार्य करते समय भी मन नहीं लगता। आपने पूछा है कि हम भगवान के दर्शन करते हैं उस समय भी मन भटक जाता है, तो मन तो भटकने वाला है ही। हमें मन को पकड़ना पड़ेगा और मन को लगाने के लिए क्या करें? स्तुति, पाठ, विनती, भगवान की मुद्रा इन सबको अपने हृदय में बसाने की कोशिश करें, मन नहीं भटकेगा। सबसे पहला काम तो यह करें कि आप जब भी मन्दिर में जाएँ तो आप मन्दिर में विराजमान भगवान में भगवतता की उपस्थिति का एहसास करें। यह भगवान का मन्दिर है, मैं भगवान के सामने खड़ा हूँ, ऐसा भाव करें। आप अभी मेरे सामने खड़े हैं, क्या अभी आपका मन भटक रहा है? अपेक्षाकृत कम भटकता है। ईमानदारी की बात है, क्यों? “महाराज सामने हैं”, हमारी उपस्थिति का आप एहसास कर रहे हैं इसलिए आपका मन नहीं भटक रहा। जिस क्षण भगवान की उपस्थिति का एहसास करने लगोगे आपका मन बिल्कुल नहीं भटकेगा। भगवान में भगवान की भगवतता का दर्शन करो।

दूसरी बात जो पूजा-पाठ स्तुति आप करते हैं उनके अर्थ में लीन होने की कोशिश करो। आप उच्चारण करके भी पढ़े तो उसमें कोई दोष नहीं है।

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