भगवान के मोक्ष कल्याणक पर हम लोग लड्डू बनाते हैं और मन्दिर में जाकर चढ़ा देते हैं। उस दिन हमारे भाव कैसे होने चाहिए? भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस कैसे मनाना चाहिए?
मोक्ष कल्याणक का मतलब केवल भगवान के चरणों में जाकर लाडू चढ़ाना नहीं। सच्चे अर्थों में मोक्ष कल्याणक के दिन हमारे मन में बहुत आकुलता होनी चाहिए। आकुलता इस भाव से कि भगवान तो मुक्त हो गए, हमारा नंबर कब आएगा? “आप इस संसार से पार हो गए, हमारा उद्धार कब होगा?” मन में संसार से मुक्त होने का संकल्प जागृत हो, तब मोक्ष कल्याणक मनाना सार्थक है, बाकी तो केवल ऊपर की क्रिया है।
मोक्ष कल्याणक मनाते समय भगवान के प्रति भक्ति करो कि “हे भगवान! आप परमधाम को प्राप्त कर गए, मुझे वह मार्ग दिखा गए। भगवान! अन्तिम क्षण तक ये मार्ग न छूटे। जब तक हम मोक्षधाम तक न पहुँचें तब तक आप की चरण शरण की सन्निधि मुझे मिलती रहे।”
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