युवा वर्ग को धर्म के मार्ग पर कैसे लगायें?

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शंका

आज का युवा वर्ग पाश्चात्य सभ्यता की ओर आकर्षित हो रहा है, हम उनको कैसे धर्म के मुख्य मार्ग पर लाएं?

समाधान

आज की पीढ़ी निश्चित रूप से पाश्चात्य सभ्यता की ओर आकृष्ट हो रही है, उन्हें हम धर्म की और कैसे मोड़ें ? हमें आवश्यकता है सांस्कृतिक निष्ठा की और प्रतिष्ठा की। अगर व्यक्ति के मन में हम अपनी संस्कृति के प्रति निष्ठा जगा देते हैं तो वह कभी विचलित नहीं हो सकते। 

विवेकानंद भारत से बाहर गए और पूरे यूरोप व अमेरिका में घूम कर आए। भारत लौटने के बाद पत्रकारों ने उनसे पूछा कि यूरोप जाने से पहले और वहाँ से आने के बाद भारत के प्रति आपके दृष्टिकोण में क्या परिवर्तन आए? 

विवेकानन्दजी ने कहा – “जब तक मैं यूरोप और अमेरिका नहीं गया था तब तक मैं अपने भारत से प्यार करता था। वहाँ से लौटकर आया तो अब प्यार के साथ-साथ पूजा भी करूँगा” यह हमारी संस्कृति है। इस बात को समझाने की जरूरत है।

मैंने पाया है कि जो आज अमेरिका और यूरोप में रहने वाले भारतीय हैं, जैन हैं; वह वहाँ जाकर विशुद्ध भारतीय बन रहें हैं। और भारतीयों का प्रभाव कुछ ऐसा पड़ रहा है कि वहाँ के लोग भी भारतीय संस्कृति के प्रति झुकाव उत्पन्न कर रहें हैं। तो हमें लोगों को यह बताना है कि हमारी मूलभूत संस्कृति क्या है और आज के युवा के विषय में मेरा अनुभव यह बताता है कि युवा को अगर धर्म समझाया जाए तो बहुत अच्छे से स्वीकार लेता है परन्तु युवा पर जब धर्म थोपा जाता है तो वह सौ हाथ दूर भाग जाता है। तो युवा वर्ग को धर्म सिखाएं, धर्म थोपें नहीं! उनके हृदय में सांस्कृतिक निष्ठा जगायें। केवल संस्कृति का गुणगान करने से कुछ नहीं होगा। अगर यह युवा वर्ग जागता है तो उनमें निश्चित बदलाव आएगा।

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