जीवन में समता और स्थिरता कैसे लायें?

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शंका

हम अपना जीवन समता के साथ बिताना चाहते हैं, उसके लिए हमें अपने विचारों को किस प्रकार दिशा देनी चाहिए? बाह्य परिस्थितियां हमारे हाथ में नहीं हैं पर अपने अन्तर के विचारों को दिशा देने पर क्या आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा और कैसे?

समाधान

प्राय: मैं अपने प्रवचनों में इन बातों का उल्लेख करता रहता हूँ। आपकी दृष्टि जब तक आध्यात्मिक नहीं होगी तब तक अपने विचारों में समता नहीं ला सकते। अपने विचारों में समता और स्थिरता लाने के लिए चार उपाय आप बता रहा हूँ। 

सबसे पहली बात – सकारात्मक सोचिए– यह एक कुंजी है। अगर हमारी सोच सकारात्मक होगी तो हम प्रतिकूल की अनुकूल व्याख्या करने में समर्थ हो जाएँगे, बुराई में अच्छाई देखने लगेंगे, विपत्ति में सम्पत्ति दिखेगी और विसंगति में भी हम संगति बिठाने में समर्थ हो जाएँगे। तो पहली बात, अपने मन में समता और स्थिरता बनाकर रखना चाहते हैं तो सकारात्मक सोचना शुरू कीजिए। 

दूसरी बात-कर्म सिद्धान्त पर विश्वास रखिए– संसार के जो भी इष्टानिष्ट संयोग-वियोग होते हैं, हानि-लाभ होते हैं, वो मेरे अधीन नहीं है, कर्म के अधीन हैं। 

तीसरी बात- निमित्तों से अप्रभावित रहने की कला सीखिए– कोई भी निमित्त है उसे निमित्त मात्र मानकर इग्नोर (ignore) कीजिए, उससे प्रभावित मत होइये। यदि आप छोटे-छोटे निमित्तों से प्रभावित होंगे, आपका मन कभी स्थिर नहीं होगा। अपने मन को स्थिर बनाए रखने के लिए, अपने अन्दर समता को बनाए रखने के लिए, टिकाए रखने के लिए निमित्तों को हमें नजरअंदाज करना होगा, उससे अप्रभावित रहने की कला अपनानी पड़ेगी। 

चौथी बात- हर पल सहजता से जीने का अभ्यास बनाइए– असहज मत होइए यानि प्रतिक्रियाएँ मत कीजिए। कुछ भी हो बात-बात में प्रतिक्रिया करना और दूसरों की प्रतिक्रिया से प्रभावित होना, ये दोनों चीजें हमें अस्थिर बनाती हैं। यदि इन उपायों को हम आत्मसात करेंगे तो तय मान करके चलिये हम अपने जीवन की दिशा और दशा, दोनों को ठीक कर सकेंगें।

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