बड़े लक्ष्य होने पर भी अति महत्वाकांक्षी होने से कैसे बचें?

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शंका

गुरुदेव कहते हैं “life (जीवन) में targets (लक्ष्य) बड़े set (निर्धारित) करने चाहिए क्योंकि targets (लक्ष्य) बड़े होंगे तो steps (कदम) बड़े होंगें और कदम बड़े होंगें तो हमें छोटे hurdles (अवरोध) परेशान नहीं कर पाएँगे।” दूसरी तरफ बड़े targets (लक्ष्य) रखने वाले लोगों को over-ambitious (अति महत्वाकांक्षी) कहा जाता है और कहा जाता है कि “अति महत्वाकांक्षी लोग हमेशा दुखी रहते हैं।” हमें इन दोनों में balance (संतुलन) कैसे बनाएँ?

समाधान

बात बिल्कुल सही है, जब तक हम बड़े लक्ष्य नहीं बनाएँगे तो बड़ी उपलब्धियाँ नहीं होंगी। लक्ष्य हमेशा बड़े होने चाहिए। सपने हमेशा बड़े देखने चाहिए। एक अर्थ में यह बात बहुत सही है, बड़े सपने ले करके व्यक्ति बड़ी उम्मीदों के साथ आगे बढ़ता है, उत्साह के साथ आगे बढ़ता है, परिणाम पाता है। लेकिन जहाँ तक ओवर एम्बिशयस होने की बात है, अति-महत्त्वाकांक्षा, वो मनुष्य के लिए बहुत भयावह होती है। इसलिए हमें दूसरी नीति का भी ध्यान रखना चाहिए। First deserve, then desire (पहले योग्य बनें फिर इच्छा रखें)। बड़े सपने देखें लेकिन कल्पना की उड़ान में मत उड़िये, शेखचिल्ली मत बन जाइए कि ख़्वाबी पुलाव ही खाते रहें। शेखचिल्ली की तरह हसीन सपने मत देखिए। “मैं जहाँ हूँ, मेरे जमीन क्या है!” इसका भान रहे।

बड़े सपने हों, पर steps (कदम) तो पावों की ताकत के अनुसार ही हों। अपना लक्ष्य ऊँचा रखो। लेकिन मैं तुम जैसे सारे युवाओं से कहना चाहूँगा एक-एक करके हजार सीढ़ी चढ़ो, पर एक साथ 700 सीढ़ी चढ़ने की कोशिश कभी मत करो। तभी जीवन में सफल होगे।

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