जीवन में गलतियों का प्रायश्चित कैसे करें?

150 150 admin
शंका

जीवन में गलतियों का प्रायश्चित कैसे करें?

समाधान

सबसे पहली बात तो ये कि खुद के पाप का प्रायश्चित खुद नहीं लिया जाता, प्रायश्चित सदैव गुरुओं से लिया जाता है। छोटे-मोटे नियमों में अगर कोई गड़बड़ी हुई है, तो भगवान के सामने अपनी निंदा करके, अपनी आलोचना करके आप किंचित जाप-पाठ और रस आदि का त्याग करके ले सकते हैं लेकिन मुख्य रूप से मूलभूत पांच व्रतों में कोई दोष लगते हैं, तो उसका प्रायश्चित गुरु से ही लेना चाहिए। गुरुओं की साक्षी में जब प्रायश्चित लेते हैं तब वह प्रायश्चित शुद्ध होता है और प्रायश्चित दोष के अनुरूप ही होते हैं।

आलोचना, प्रतिक्रमण, विवेक, व्युतसर्ग और तप, परिहार स्थापना के भेद से प्रायश्चित के भेद बताये हैं। ये सब दोषों के अनुरूप होता है। कुछ प्रायश्चित ऐसे होते हैं, जो गुरु के समक्ष अपने आप केवल उसको आलोचना कर देने मात्र से प्रायश्चित हो जाता है। कई ऐसे हैं जिसमें प्रतिक्रमण करना पड़ता है कि अब मैं इसकी पुनरावृत्ति नहीं करूंगा। कुछ दोष ऐसे हैं जिसमें आलोचना-प्रतिक्रमण दोनों करना पड़ता है, बाकी गुरुजन अलग-अलग तरीके से त्याग देते हैं। तो मुख्य रूप से जो छोटे-मोटे हैं उन्हें अपनी आलोचना और निंदा करके आप सुधार कर सकते हैं, लेकिन जो दोष लगते हैं उनके लिए गुरुओं के सानिध्य में जाकर उनकी शुद्धि करनी चाहिए।

Share

Leave a Reply