गुस्से के गुबार का प्रायश्चित कैसे करें?

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शंका

जब कोई हमसे अपशब्द बोल देता है, तब भले ही हम उसे जवाब न दे पाएँ, अन्तर्मन में तो क्रोध आता ही है, चाहे कितना भी हम सोचें कि परिणामों में विशुद्धि लानी है। विशेषतः कोई छोटा या निचले पद का कोई व्यक्ति हमसे अपशब्द कह दे, तो बिलकुल भी नियंत्रण नहीं रहता।

समाधान

दूसरों के अपशब्दों को सहना बहुत कठिन है, पर असंभव नहीं, सहन करना चाहिए। बात बिल्कुल सही है, अपने से छोटों या कमजोर के अपशब्द व्यक्ति बहुत मुश्किल से झेल पता है। लेकिन यदि व्यक्ति के विचारों में उदारता हो, सहनशीलता हो, अपने कषायों पर अंकुश रखने की क्षमता हो, तो ऐसा कर सकता है।

इसका एक रास्ता है, जब भी कभी, न चाहते हुए भी आपके अन्दर से गुबार फूटे, तो बाद में अपने आप में प्रायश्चित्त करो। प्रायश्चित्त के दो तरीके हैं; एक तरीका तो यह है जो थोड़ा कठिन है, पर बहुत काम का है। जितनी बार आप अपशब्द बोलें, उतनी बार १० का नोट मन्दिर के गुल्लक में डालो। नियम ले लो कि कल मैं जितनी बार मुँह से अपशब्द निकाल लूँगा उतनी बार १० का नोट मन्दिर में डालूँगा। एक हफ्ता करके देखो, अच्छे परिणाम सामने आ जायेंगे। और दूसरा जिसमें अपशब्द मुँह से निकले, पता लगे तुरन्त ९ बार णमोकार मन्त्र का जाप करो और अपने मन को धिक्कार हो कि मैं ट्रैक से नीचे आ गया ऐसा मुझे नहीं करना, परिवर्तन आएगा।

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