धर्म को कैसे धारण करें कि अगले जन्म में भी साथ जाये?

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शंका

धर्म को कैसे धारण करें कि जब हम इस संसार से जाएँ तो हमारा जैन धर्म भी हमारे साथ जाये?

समाधान

बहुत अच्छा प्रश्न पूछा है, धर्म को कैसे धारण करें? हमारे यहाँ कई प्रकार के राग हैं, उसमें एक शब्द आता है, “अस्थि- मज्जानु- राग- रत्तो” अर्थात हड्डी के अन्दर जो बोन मैरो (bone marrow) होता है ना, वैसा राग, जैसे हड्डी के अन्दर वह बोन मैरो घुला हुआ है, इसी तरह हमारे रग-रग में धर्म के प्रति अनुराग बन जाए तो जीवन के अन्तिम सांस तक ही नहीं, हमारे हर भव में धर्म हमारे साथ जुड़ा रहेगा।

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