पापी धर्म के मार्ग पर कैसे चले?

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शंका

मैं पापी हूँ, मेरे हाथों बहुत पाप हुए हैं। मैं मोक्ष मार्ग की तरफ चलना चाहता हूँ। आप आशीर्वाद दें मैं कैसे बढूँ?

समाधान

यदि आप अपने आप को धर्मी मानते हो तो हमेशा सोचो कि “मुझसे पाप न हो, मैं धर्मी हूँ, मैं २४ घंटे सोचता हूँ कि मुझसे कोई पाप न हो जाए, मैं सावधान रहता हूँ।” धर्मी व्यक्ति को चाहिए ऐसी सावधानी रखें कि उससे पाप न हो। आप अगर अपने आप को पापी मानते हो तो सोचो “मुझसे जितना बने धर्म कर लूँ”। जब मौका मिले धर्म कर लो तर जाओगे। पापी यह सोचे कि “मैं धर्म करूँ” और धर्मी यह सोचे कि “मैं पाप न करूँ”, सारा काम हो जाएगा। 

पापी कितना भी बाद पापी हो जितनी देर धर्म करेगा, पवित्रता होगी और उसका धर्म ही उसके पाप से मुक्त कराएगा और धर्मी यदि पाप करेगा तो धर्म से भ्रष्ट हो जाएगा। इसलिए दोनों चीजों को ध्यान में रखें, आपने अपने जीवन में अब तक पाप किया, अपनी चेतना को जगाओ और अब अपने पापों को साफ करने का रास्ता अपनाओ। 

ऐसा कोई पाप नहीं जिसे साफ़ नहीं किया जा सकता और हर प्राणी का अतीत यही बताता है कि उसने अपने जीवन को पापों से भरा है। अगर वह वर्तमान देखे तो उसे साफ किया जा सकता है। आचार्य गुरुदेव ने मूक माटी में कहा है कि “संसार के जितने भी प्राणी हैं हर प्राणी का इतिहास, इतिहास मिलेगा अपावन, अपावन, अपावन ही रहेगा।” इतिहास मत देखो, भविष्य देखो। मैं तो यह कहता हूँ हर सन्त का एक अतीत होता है और हर अपराधी का एक भविष्य आज जो सन्त है वो अनादि से सन्त नहीं है, अतीत में वह भी कभी अपराधी रहा है और जो आज अपराधी है वह अनन्त काल तक अपराधी बना रहे ऐसी कोई बात नहीं, भविष्य में वह भी सन्त बन सकता है। अपने भीतर के उस भविष्य रूप को, भावी रूप को प्रकटाओ, तुम्हारा भी उद्धार हो जाएगा।

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