अगर घर का मुखिया ही घर का भेदी हो जाये तो कैसा व्यवहार करें?

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शंका

घर का मुखिया यदि विपरीत बुद्धि वाला हो जाए और दूसरों के कहने में आकर घर के बाहर भी अपनों के लिए ही गलत बातें फैलाने लग जाए, हम उन्हें समझा भी नहीं पाएँ और हमें लोगों के सामने शर्मिंदा होना पड़े, ऐसे अवसर पर हम क्या करें?

समाधान

कई बार ऐसा होता है कि घर के मुखिया की बुद्धि उलट जाती है और वह घर की मर्यादा, घर की गरिमा और घर के प्रतिष्ठा के विरुद्ध बातें करना शुरू कर देता है। ये बड़ी दुविधा वाली स्थिति है, न इधर कर सकते न उधर कुछ कर सकते हैं। मेरे विचार में ऐसी स्थिति में बहुत विवेक से काम लेना चाहिए। 

मेरे सम्पर्क में एक सज्जन है जिनके पिताजी की यही दुर्बलता है। वह अपने घर की अक्सर बुराई करें, कमियाँ निकालें और यदि कोई उनसे कुछ कहे तो ज़्यादा बोलें। उनका स्वभाव कुछ उग्र था तो उनके उस उग्रमिजाजी स्वभाव के कारण कोई उनसे कुछ बोलना भी उचित नहीं समझता था लेकिन उस भाई ने बहुत धैर्य और संयम से काम लिया। उन्होंने एक रास्ता निकाला, लोगों को पहले ही बोल देता कि ‘मेरे पिताजी का ये नेचर है, वह जो बोलते हैं उनका प्रतीकात्मक अर्थ निकालना चाहिए और उसको अन्यथा नहीं लेना चाहिए।’ ऐसा सोचने और कहने से काफी लोगों को धीरे-धीरे फर्क पड़ने लगा। “भाई, इनका नेचर है या ऐसा बोलते हैं तो बोलने दो।”

एक सज्जन की धर्मपत्नी बहुत उटपटांग बोलती थी; औरों को ऐसा बोले तो बोले अपने पति को सबसे ज़्यादा ऊटपटांग बोलती थी; और ऐसा बोले कि कोई दूसरा झेल भी न सके। लेकिन मैंने देखा उन्होंने बहुत धैर्य से काम लिया, पत्नी बोलती है वह चुपचाप रहते हैं। बाद में लोगों ने देखा कि यह कितने सहनशील व्यक्ति है, चुपचाप सुनते हैं। उन्होंने पाया कि लोगों के मन में पत्नी के प्रति उल्टी धारणा बनी और इनके प्रति एक अच्छी धारणा बनी कि यह बड़े सहनशील व्यक्ति हैं। इस प्रकार सामने वाले के दुर्व्यवहार को भी क्षमता से सहन करते हैं। 

यदि कोई व्यक्ति अपनी बात और व्यवहार में विपरीत भी रखता है और ऐसा दिखता है कि आप उसे सुधार नहीं सकते तो आप अपने आपको सुधारें, उसके प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलें। अब रहा सवाल ऐसा कि व्यक्ति ऐसा विरुद्ध आचरण करने लगे जिससे घर की आर्थिक क्षति हो या सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होती हो या लोगों का कैरियर प्रभावित होता तो उस समय क्या करें? कई बार यह भी एक बात होती है घर के लोग घर के हितों की उपेक्षा करके बाहर के लोगों के साथ अपने रुपए-पैसे का लेनदेन करना शुरू कर देते हैं और पैसों की बर्बादी करना शुरू कर देते हैं। यदि आप सामने वाले को रोक सकने या टोक सकने में समर्थ हैं, रोकें और टोंके; अन्यथा उनमें अपना दिमाग लगाने की जगह अपनी लाइन लम्बी करना शुरू कर दें और यह मान करके चलें कि इनसे हमें कुछ नहीं मिलने वाला, हमें अपने लिए जो चाहिए उसके लिए हमें खुद मेहनत करनी पड़ेगी।  तो डबल मेहनत कीजिए, परिणाम अच्छे निकालिए, आज नहीं कल आप निश्चित सफल होंगे।

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