विधार्थी को धर्म का पालन कैसे करना चाहिए?

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शंका

हम युवा पीढ़ी पढ़ाई में बहुत व्यस्त रहते हैं। ऐसे में हम इच्छा होते हुए भी धर्म ध्यान में समय नहीं दे पाते। हमें किसे महत्त्व देना चाहिए और भविष्य में हमारी क्या रणनीति होनी चाहिए?

समाधान

एक विद्यार्थी के जीवन का पहला लक्ष्य उसका विद्यार्जन होना चाहिए। पढ़ाई पर पूरा ध्यान होना चाहिए। निश्चित रूप से आज की जो पढ़ाई के कार्यक्रम है और जिस तरह की व्यस्तता हैं उसको देखते हुए समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। बच्चों के पास समय का अभाव होता है लेकिन फिर भी पढाई करते हुए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर बच्चे पढ़ाई के समय ज़्यादा नहीं तो कम से कम मद्य, मांस और मधु के सेवन से परहेज करें, उस संस्कार को सुरक्षित रखें। अगर भगवान के दर्शन सुलभ हो सके, तो दर्शन करें और दर्शन नहीं तो कम से कम णमोकार मन्त्र की एक माला भर फेर ले, अपने जैनपन और जैनत्त्व का स्मरण रखें। मैं समझता हूँ ऐसे बच्चे पढ़ाई के बाद वापस अपने मूल में आकर के स्थिर हो जाएँगे। 

जब तक पढ़ाई है अपने पढ़ाई की व्यस्तता के साथ जितना समय निकालें, धर्म ध्यान करें, गुरुजनों का सत्संग, समागम जब छुट्टी मिले तो जरूर करें और पढ़ाई पूरी होने के बाद वापस समागम पाकर अपने आप को रिचार्ज करें ताकि व्यावहारिक जीवन में धर्म को उतार कर अपने जीवन में स्थिरता लाई जा सके। साथ ही मैं चाहता हूँ कि बच्चों को जब उच्च शिक्षा के लिए भेजना हो उससे पहले माँ-बाप गुरुजनों के पास लाए और उन्हें कुछ सही सलाह, मार्गदर्शन एक वर्कशॉप की तरह दिया जाए जिससे वे अपने जीवन में सम्भावित दुर्घटनाओं से बच सके और अपेक्षित सावधानियाँ बरत सके, यह कार्य किया जाए तो बहुत अच्छा हो सकता है। हालाँकि मेरे सम्पर्क में ऐसे बहुत सारे युवक और युवतियाँ हैं, बच्चे भी हैं जो अपने पढ़ाई की व्यस्तता के बाद भी धार्मिक क्रियाओं में अपना पूर्ण समय निकालते हैं। अभिषेक करना, पूजन करना, मन्दिर जाना गुरुजनों का समागम मिले तो वह करना, ये सबके लिए नहीं है लेकिन कर सकते हैं। अगर तुम्हारी प्राथमिकता में यह बात जुड़ जाए कि मुझे पढ़ाई के साथ यह करना ही है, तो इसके लिए भी समय निकल सकता है। इसमें समय निकालने के लिए कि पढाई प्रभावित न हो, हम ध्यान भी कर सके, उसका एक सबसे सुगम तरीका है- फालतू के कामों में जो समय बर्बाद होता है उसकी कटौती कर लो और उस समय की कटौती करके इधर थोड़ा समय आप लगा दो, तो आपका जीवन आनंदमय बन जाएगा।

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