च्चों को स्वाध्याय कैसे करना चाहिये?
बच्चों को भी स्वाध्याय करना चाहिए और बचपन से ही स्वाध्याय करना चाहिए। यदि आप बचपन से स्वाध्याय करोगे तो आपके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ सकता है। जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है।
अब बच्चों को कैसे स्वाध्याय करना चाहिए? सबसे सरल है प्रथमानुयोग, हमारे महापुरुषों के चरित्रों को पढ़ना चाहिए और उसको पढ़कर ये देखना चाहिए कि महापुरुषों ने अपने जीवन में कैसे-कैसे अच्छे-अच्छे कार्य किये। उनके जीवन में उतार-चढ़ाव आये तो उसमें उन्होंने अपने जीवन को कैसे सम्भाला? इसलिए बच्चों को पुराण चरित्रों को पढ़ने का प्रयास करना चाहिए और फिर हमारी जो मूलभूत बातें है, उनको जानने के लिए सबसे पहले शुरुआत करनी चाहिए और फिर तत्त्वार्थ सूत्र, छहडाला जैसे ग्रंथों का स्वाध्याय करना चाहिए। जिससे बच्चों को आत्मा का बोध हो और वे अपने जीवन का रास्ता भी प्रशस्त कर सकें।
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