कैसी हो इस वर्ष कोरोना काल की दीपावली!

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शंका

कोरोना की गम्भीर स्थिति को देखते हुए दीपावली का त्योहार किस तरह मनाया जाए तथा आतिशबाजी का प्रयोग कैसे न करें?

समाधान

दीपावली निकट है, इस वर्ष की दीपावली एकदम विपरीत परिस्थितियों की दीपावली है। इस वर्ष की दीपावली में तो कई घर ऐसे होंगे जहाँ कोई चिराग जलाने वाला भी नहीं मिलेगा, कई घरों में दीप नहीं जल पायेंगे। कोरोना की त्रासदी ने बहुत लोगों का जीवन लील लिया है, पूरे विश्व को हिला डाला है। सच्चे अर्थों में हमें ऐसे समय में अपने जीवन में अतिरिक्त सादगी और संयम अपनाना चाहिये। जहाँ तक दीपावली के पर्व की बात है, यह एक लोक पर्व है। अपने मन के उत्साह को प्रकट करने का एक अच्छा माध्यम है, मन का उत्साह व उमंग हमारे मन के भय और अन्य दुर्बलताओं को दूर करता है। इस अर्थ में देखा जाए तो इस उत्सव से, पिछले ८ माह से लोगों के मन की जो ग्रन्थियाँ हैं वे खुलेंगीं, मन में जो भय और नकारात्मकता है, वह दूर होगी। दीपावली को परम्परागत तरीके से मनायें, आतिशबाजी का प्रयोग बिल्कुल न करें क्योंकि हमें मालूम है कि आतिशबाजी के परिणाम कितने भयानक होते हैं। इनसे उत्पन्न आवाज़ के कारण कई गर्भवती स्त्रियों का गर्भ गिर जाता है, जानवरों के गर्भ गिर जाते हैं, घोंसलों से अंडे नीचे गिर जाते हैं, कई प्राणी बहरे हो जाते हैं और कईयों के प्राण चले जाते हैं। यह हिंसा तो है ही, इसके लिए हर वर्ष लोग कहते हैं कि प्रदूषण बढ़ता है, प्रदूषण बढ़ने से लोगों को सांस लेना मुश्किल होता है। हर वर्ष लोग कहते हैं कि हम इस बार एकदम शान्त दीपावली मनायें, आतिशबाजी रहित दीपावली मनायें, पटाखे न फ़ोड़ें, कागज के पटाखे फोड़ें। लाखों लोग कोरोना से संक्रमित हुए, भले ही आज वो मुक्त हो गए लेकिन उनके शरीर में अभी भी बहुत सारी दुर्बलतायें हैं, उनका श्वसन तन्त्र बुरी तरह प्रभावित है। इस आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण से कितने लोग असमय में काल-कवलित होंगे! ये हमारे क्षण भर के आनन्द की अपेक्षा अनेकों की हत्या का कारण बनेगा। 

पूरे देश के लोगों को संकल्पित होना चाहिये, उन्हें भारत सरकार और अपने-अपने राज्यों के प्रमुखों को यह बात पहुँचाना चाहिए कि इस वर्ष हम आतिशबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध लगायें। दीपावली मनानी है, तो उस घर में जा कर दिया जलाओ, उनको मिठाई खिलाओ, जिस घर का दीया बुझ गया है, जिस घर का दीप उठ गया है; आज उनके घर में ख़ुशियाँ भरो, ये सच्ची दीपावली है। तुम्हारी थोड़ी देर की इस आतिशबाजी से क्या होगा? आतिशबाजी का मतलब क्या है? अपने रुपयों में आग लगाना और आनंदित होना? क्षण भर में हजारों-लाखों रूपये की बर्बादी! चलो तुम्हारे पास पैसा है, तो बर्बादी करने में सक्षम हो सकते हो लेकिन उससे जो पर्यावरण बिगड़ेगा, उसे कौन जानेगा? इसलिए इस वर्ष हर व्यक्ति के भीतर यह जागृति होनी चाहिये। आज जितने लोग इस कार्यक्रम को देख और सुन रहे हैं अपने-अपने स्तर पर इस संदेश को लोगों तक पहुँचायें, लोगों को अभी से संकल्पित करें कि आतिशबाजी लोग खरीदें ही नहीं, पटाखे खरीदें ही नहीं, एक फुलझड़ी भी नहीं खरीदें। हमें किसी भी विस्फोटक पदार्थ (explosive) का इस्तेमाल करना ही नहीं है। सरकारों को इस तरफ संकेत करें, सरकारों से निवेदन करें, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रमुखों को ये बात पहुँचायें कि इसे प्रतिबंधित किया जाये। ये युग की एक बहुत बड़ी आवश्यकता है क्योंकि आपको थोड़े देर के इस मनोरंजन की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। ऐसी कीमत चुकाने की नौबत न आये, ऐसा हम सबको प्रयास करना चाहिए, इसीलिए इस बात को बहुत गम्भीरता से लेने की ज़रूरत है। सबको जागरूक रहने की ज़रूरत है और एक जागरूकता का संदेश सारे जगत में फैलाने की ज़रूरत है ताकि हम इस संकट काल में सब को सुरक्षित रख सकें।

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