व्हाट्सएप पर क्षमावाणी का मैसेज कितना सार्थक है?

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शंका

व्हाट्सएप पर क्षमावाणी का मैसेज कितना सार्थक है?

समाधान

ये सब formality (औपचारिकता) है, क्षमा तो हृदय की परिणति है और जब तक किसी के प्रति हमारे मन में क्षमा का भाव प्रकट न हो तो हम मैसेज छोड़ें या मुख से बोलें, क्षमा-क्षमा नहीं कहलाएगी। 

आजकल एक ट्रेंड चल पड़ा है, लोग क्षमा का मैसेज भेजते हैं पर किसको? मित्रों को! वह मैसेज भी उसे भेजें जो दुश्मन नंबर १ हो, तब मैं जानूं! मित्रों से क्षमा मांगना क्षमावाणी का सही रूप नहीं है, शत्रु से क्षमा मांगकर शत्रुता को समाप्त कर देना यही क्षमावाणी का वास्तविक रूप है। प्रयास ऐसा होना चाहिए कि हमारे मन में किसी के प्रति कटुता न हो और बैर की गाँठ न बन्धे। जिसके प्रति भी किसी तरह की खुन्नस हुई हो, कम से कम क्षमावाणी के दिन तक उसे साफ कर लें और नयी गिनती की शुरुआत करें तो बहुत फ़र्क पड़ेगा। 

गलतियाँ तो मनुष्य का स्वभाव है लेकिन नए सिरे से मन में गांठ न रखें। मैं ये नहीं कहता कि एक बार क्षमा माँगने के बाद दोबारा गलती की पुनरावृत्ति नहीं हो! यह मानवीय दुर्बलता है, गलतियाँ होगी पर हम गाँठ नहीं रखेंगे; गलतियों को एक दुर्बलता मान करके हम स्वीकार करें और उसे सुधारने का प्रयास करें लेकिन गांठ मन में कभी न बांधें।

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