तीर्थंकर को कर्म काटने में कितना समय लगता है और मनुष्य कर्म कैसे काटे?

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शंका

तीर्थंकर को अपने कर्म काटने में कम से कम कितने वर्ष लग सकते हैं और मनुष्य को अपने कर्म काटने के लिए क्या करना चाहिए?

समाधान

दीक्षा लेने के बाद मल्लिनाथ भगवान को ६ दिन में केवल ज्ञान हुआ, २४ तीर्थंकर में सबसे अल्प समय में। ऐसे तो अन्तरमुहूर्त में भी केवल ज्ञान हो सकता है, विदेह क्षेत्रों में। कोई भी तीर्थंकर भगवान हो, वे कम से कम ८ वर्ष अन्तर मुहूर्त तक घर में रहेंगे ही रहेंगे। उसके बाद ही दीक्षित होंगे और ऐसा भी हो सकता है कि कोई एक कोटि पूर्व की आयु लेकर आने वाले तीर्थंकर, अपनी आयु के ८ वर्ष अन्तर मुहूर्त कम तक, पूरे गृहस्थी में रमे रहे या मुनि भी बन जाए तो केवल ज्ञान न हो और आखरी ८ वर्ष अन्तर मुहूर्त में केवल ज्ञान प्राप्त करके, ८ वर्ष तक धर्म का प्रवर्तन करें। तीर्थंकरो का तो नियोग सिद्ध मुक्ति है, तीर्थंकरों को तो केवल ज्ञान होना ही है। ये संयोग होता है कि किन को आगे हो और किन को पीछे। ये आगे- पीछे का क्रम चलता रहता है।

मनुष्यों को अपना कर्म काटने के लिए कितना समय लगेगा? समय से कर्म नहीं कटता, कर्म तो हमारी परिणति से कटता है। किसी का कर्म हो चाहे तीर्थंकर का हो या सामान्य प्राणी का, कर्म तो केवल अन्तर मुहूर्त में कटते हैं, लेकिन उस अन्तर मुहूर्त की परिणति को पाने में अनन्त जन्म लग जाते हैं। अन्तर मुहूर्त में कर्म कटें, एक अन्तर मुहूर्त ही कर्म काटने को पर्याप्त है चाहे कितना भी संग्रहित कर्म क्यों न हो, पर उस अन्तरमूहुर्त की विशुद्धि को पाना महा दुर्लभ है।

एक आदमी की गाड़ी खराब हो गई जंगल में। वह विदेशी था, अब सोच रहा था कि कोई साधन मिले तो कोई कारीगर को बुलाया जाए और उस गाड़ी को वर्कशॉप में ले जाकर इसको ठीक कराए। एक आदमी उधर से गुजर रहा था, देहात का आदमी था। उसने पूछा भाई आपकी प्रॉब्लम क्या है? वह बोला- मेरी गाड़ी खराब हो गई। जंगल है जाना है।’ ‘जी, आप मुझे बताएँगे क्या खराबी है?’ वह बोला- देखिए गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही है।” उसने टूलबॉक्स को खोला, उसमें से हथौडी़ को निकाला, फिर थोड़ा सा गाड़ी को तिरछा करके एक हथौड़ी मारा। गाड़ी स्टार्ट हो गई। भैया तुमने तो बहुत बड़ा काम कर दिया मेरा। यह बताओ इसका कितना खर्चा लगेगा?’ उसने कहा “भैया हजार रुपए।” इसमें तुमने किया ही क्या है, यह तो १० रूपये का काम है।” देहाती ने कहा आप बिल्कुल सही कह रहे हो, हथौड़ी मारने का तो १० रुपये, लेकिन हथौड़ी कहाँ मारना है, इसका ९९० रुपये मैंने चार्ज किया है, हजार रू दीजिए।’ तो वह एक अन्तरमूहुर्त को पाना महादुर्लभ है और जो उसे प्राप्त करता है वही मुक्ति को प्राप्त कर सकता है।

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