मौन विरोध कितना प्रभावशाली?

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शंका

मौन विरोध कितना प्रभावशाली?

समाधान

तलवार उठाने का उपदेश भगवान ऋषभदेव ने तब के लिए दिया जब देश पर संकट हो, धर्म पर संकट हो, संस्कृति पर संकट हो। लेकिन यह हमारा अन्तिम अस्त्र है। आज के समय में मुझे नहीं लगता कि हमें अपने धर्म की रक्षा के लिए तलवार उठाने की जरूरत है। हमें अपने धर्म की रक्षा के लिए अपनी निष्ठा को जगाने की जरूरत है और यह निष्ठा जगेगी तो हमारा धर्म अपने आप सुरक्षित होगा। इसके लिए पूरे समाज में जागरूकता की आवश्यकता है, जागरूकता होगी तो सारा काम होगा। अभी माला फेर कर अपना काम करो, सामने वाले लोगों की बुद्धि पलट जाए सारा कार्य हो जाएगा। इसलिए बुद्धि पलटने की बात सोचो और चीजों को पलटने की कोई आवश्यकता नहीं है।

जहाँ तक सवाल रहा “मौन जुलूस निकालने की क्या ज़रूरत? नारेबाज़ी से डरते हैं क्या?”, मेरा मानना है मौन का जो प्रभाव होता है वह बोलने से ज्यादा होता है। कहते हैं, “स्पीच यदि गोल्ड है, तो साइलेंस गोल्डन होता है”।  कई बातें ऐसी होती है जो बोलने से भी ज्यादा मौन से अपना प्रभाव छोड़ती है। इस मौन जुलूस के प्रति एक दृष्टिकोण यह भी है कि दुनिया जान सके जैन लोग अहिंसा पर विश्वास रखते हैं, शान्ति पर विश्वास रखते हैं, संघर्ष और हिंसा पर विश्वास नहीं रखते। इसलिए वह अपनी माँग को भी शान्तिपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

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