शंका
तत्त्वार्थ सूत्र जी में संवर के जो गुप्ति, समिति, धर्मानुप्रेक्षा, परिषयस्य, चारित्र आदि कारण बताए गए हैं। श्रावक तो इनमें से एक का भी नहीं पालन करता, तो क्या उसका संवर नहीं होता? नवें अध्याय में निर्जरा में बतायी गई है, निर्जरा होती है।
समाधान
इसलिए तो मुनि बना जाता है। श्रावक को यदि देश व्रत लेना है, तो एक देश संवर होता है। निर्जरा भी मुनि को ही होती है। वो एक अन्तर्मुहूर्त के लिए ही होती है और व्रती बनने पर प्रति समय असंख्यात गुण से निरूप निर्जरा होती है। ये है श्रावक की निर्जरा एक देश संवर, एक देश निर्जरा।
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