हम युवक अपने मन को लड़कियों की ओर जाने से कैसे रोके?

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शंका

हम युवक अपने मन को लड़कियों की ओर जाने से रोकते हैं, फिर भी मन चला जाता है क्या करें?

गौरव जैन, दिल्ली

समाधान

मन बहुत बेईमान है। तुम युवक की बात करते हो, अच्छे-अच्छे बूढ़ों का मन चला जाता है। मेरे पास एक सज्जन ने आकर कहा था कि “महाराज जी एक समाधान चाहता हूँ”। मैंने कहा कि शाम को शंका समाधान में पूछ लेना। उसने कहा ” महाराज जी वहाँ नहीं पूछ पाऊँगा, यहीं पूछना है। मैंने बोला क्या चाहते हो? महाराज जी! मन्दिर में दर्शन करते समय कोई लड़की दिख जाती है, तो मेरा मन चला जाता है। मैंने बोला तुम्हारी उम्र कितनी है? बोला, ” 8२ साल की”। 82 साल की उम्र वाला बूढ़ा भगवान के मन्दिर में दर्शन कर रहा है और उसका भी मन डगमगा रहा है। यह मन की विचित्रता है, तो अपने मन को संभालने का भाव होना चाहिए। मैं इस युवक को बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ। कम से कम उसने अपने मन की बेईमानी स्वीकार करने का साहस तो किया, लोग तो यह भी नहीं करते। लड़कियों के अंग, उपांग को दुर्भावनापूर्वक देखना बंद करो। नीची दृष्टि रखो, एकान्त में लड़कियों के साथ, विपरीत लिंग के साथ, लड़के को लड़कियों के साथ, लड़कियों को लड़के के साथ, उठना, बोलना, चलना कम करो। उन तमाम प्रकार के भौतिक और मानसिक निमित्तों से अपने आप को बचाओ। जिससे मन में विकार उत्पन्न होता हो यदि ऐसा करो तो बहुत अच्छा लगेगा और हर किसी लड़की के चेहरे पे अपनी बहन की तस्वीर देखना शुरू कर दो। मन एकदम शुद्ध एवं साफ़ बन जाएगा।

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