मुनि महाराज भूख पर नियंत्रण कैसे करते हैं?

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शंका

मुनि महाराज भूख पर नियंत्रण कैसे करते हैं?

समाधान

यह तपस्या है; और सब कुछ किया जा सकता अगर मनुष्य अपनी इच्छा शक्ति को जगा दे, तो सब चीजें कंट्रोल की जा सकती है। 

एक बार एक व्यक्ति ने मुझसे प्रश्न किया कि “महाराज जी! आप जैसी शक्ति थोड़ी हमें भी मिल जाए”, मैंने पूछा- “क्या बात है भाई?” “अरे महाराज जी! हमसे भूख बर्दाश्त नहीं होती। आप भूख कैसे सहन कर लेते हैं?” मैंने कहा- “ऐसी बात नहीं है! भूख तो तुम्हें भी बर्दाश्त होती है।” “नहीं महाराज! हमसे तो सहा नहीं जाता।” मैंने कहा- “तुम दुकान पर बैठे हो, घर में खाना तैयार नहीं हो पाया और तुम भूखे घर से चले गए, एक कप चाय पीकर, दिन के दो बज गए कोई रिलीवर नहीं आया। दुकान में ग्राहकों की भीड़ रही, ग्राहक में व्यस्त रहे, थोड़े खाली हुए तब बहुत ज़ोर से भूख लग रही है, सोचा ‘खाना खाऊँ’ पर कोई आये तब ही तो जाऊँ। तुमने सोच लिया दस मिनट और इंतज़ार करता हूँ कोई नहीं आएगा तो शटर गिरा कर जाऊँगा, अब सहा नहीं जाता और इसी बीच दस मिनट में नौ मिनट बीते और कुछ ग्राहक आ गए और इतने सारे ग्राहक आ गए कि चार घंटे बीत गए। चार बज गए और तुम ग्राहक में लग गए।” 

मैंने पूछा- “तुम्हारी भूख कहाँ गई?” बोले- “महाराज जी! ग्राहक देखकर खो गई।” मैंने कहा- “जैसे तुम अपना लाभ देखते हो और तुम्हारी भूख खो जाती है। वैसे ही लोगों को अपना भला दिखता है और हमारी भूख खो जाती है।” जो अपने हित को देखते हैं उनकी भूख प्यास सब अपने आप नियंत्रित हो जाती है।

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