आत्मा बंधन में कैसे आई?

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शंका

हर व्यक्ति मुक्ति की चर्चा कर रहा है पर हम यह जानना चाहते हैं कि आत्मा बन्धन में आई कैसे?

समाधान

आत्मा बन्धन में आई कैसे? यह सवाल तब होगा जब कभी आत्मा मुक्त रही हो, बाद में बन्धन में आई हो। यह अनादि से है जैसे घी दूध में कहाँ से आता है? प्रकृति से! सोने के ore (अयस्क) में सोना कहाँ से आया, अनादि से। इसी तरह इस संसार में जीव और कर्म का सम्बन्ध अनादि से है।

‘यदि जीव मुक्त था तो बन्धा क्यों? अब मुक्त होने के बाद बन्ध गया तो फिर मुक्ति का प्रयास करने से फायदा क्या? फिर मुक्त होंगे, फिर बन्ध जाएँगे’- ऐसा नहीं है। यह संसार का स्वभाव है, संसार में रहने वाला हर प्राणी अनादि से बन्धा हुआ है और तब तक बन्धा रहेगा जब तक वह अज्ञानता में जियेगा। ज्ञान का आश्रय लेगा, बन्धनों को एक बार काटेगा तो हमेशा-हमेशा के लिए मुक्त हो जाएगा।

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