राजा-महाराजा बड़े-बड़े पाप करने के बाद भी स्वर्ग कैसे गए?

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शंका

राजा-महाराजा बड़े-बड़े पाप करने के बाद भी स्वर्ग कैसे गए?

समाधान

लोक में एक कहावत है “जे कम्मे सूरा, ते धम्मे सूरा” राजा महाराजाओं ने निश्चित पाप किया, लेकिन उनके अन्दर पाप के प्रक्षालन की भी ताकत थी। अज्ञानता में पाप किया, चेतना जग गई तो पाप का परित्याग किया। आप देखें, जितने भी राजा-महाराजाओं की कहानियाँ हैं, उन्होंने अन्त में वैराग्य लिया, सन्यास लिया, तप किया और अपने जीवन का उत्थान किया। जिन राजा-महाराजाओं ने भोग भोगते हुए राज्य को त्यागे बिना, अपनी देह को छोड़ा है वे सब नरक गए। चाहे वो सुभौम चक्रवर्ती हो या ब्रह्मदत्त हो। ऐसा कहते हैं “राजेश्‍वरी सो नरकेश्‍वरी”, जो राजगद्दी से जाएँगे, वो वही जाएँगे और जो राज्य को त्याग कर वैराग्य पाएँगे, उनका उद्धार हो जाएगा। मनुष्य पाप अज्ञानता से करता है, ज्ञान संपन्न होते ही उस पाप को साफ करने की सामर्थ्य पा जाता है। हम ज्ञान संपन्न हों, अतीत में अगर कोई अपराध हो जाए तो उसे लेकर ज्यादा चिंतित होने की जगह उसे साफ करने का पुरुषार्थ करें, ताकि भविष्य साफ हो सके।

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