तत्त्वार्थ सूत्र में लाेक-आकार की रचना का ध्यान करने में धर्म ध्यान कैसे होता है?

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शंका

तत्त्वार्थ सूत्र में लाेक-आकार की रचना का ध्यान करने में धर्म ध्यान कैसे होता है?

समाधान

संस्थान विचय धर्म ध्यान विशिष्ट मुनियों को होता है। लोक के आकार, लोक के स्वरूप का वीतराग भाव से चिन्तन करना, ये विशिष्ट धर्म ध्यान है। उसके प्रति स्वर्ग की चर्चा करके मन में लालच नहीं आना और नरक का चिन्तन करके नरक से भयभीत न होना, इसे जीवन की वास्तविकता जानते हुए इनका चित्र, इनका विचार करना और चतुर्गति के दुःख से ऊपर उठने के लिये अपने हृदय में संवेग भाव को विकसित करना यही धर्म है।

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