शंका
आत्मा अमूर्तिक है और कर्म मूर्तिक है, तो इन दिनों का परस्पर बन्ध कैसे हो जाता है?
समाधान
सच कहते हैं कि आत्मा अमूर्त है, पर यथार्थ में कहा जाए तो आत्मा अमूर्त ही नहीं, मूर्त भी है। संसारी आत्मा मूर्त हैं और सिद्ध आत्मा अमूर्त हैं। अनादि से हमारा कर्मों से ऐसा सम्बन्ध बना हुआ है कि अमूर्त स्वभावी होने के बाद भी मूर्त बने हुए हैं, इसलिए का मूर्त का मूर्त पुद्गलों से सम्बन्ध होने में बाधा नहीं।
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