प्रशासनिक अधिकारी जैन धर्म की प्रभावना और समाज की सेवा कैसे करें?

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शंका

प्रशासनिक सेवा में आने के पश्चात जैन धर्म की प्रभावना और समाज के उत्थान, देश और समाज की प्रगति के लिए क्या कार्य करें?

आशिका जैन, आई ए एस

समाधान

मैं उसे आशीर्वाद देता हूँ कि उसके ह्रदय में जैन धर्म के प्रति अपार श्रद्धा है, अगाध श्रद्धा है। उसे इसलिए भी आशीर्वाद देता हूँ कि उसके हृदय में गुरु भक्ति कूट-कूट करके भरी हुई है। मैं तो ये जानता हूँ जिसके हृदय में देव, शास्त्र, गुरु के प्रति भक्ति भरी होती है, उसको कुछ कहने की जरूरत नहीं है।

आज जो भी व्यवस्थाएँ हैं, वो शासन और प्रशासन के हाथ में है। शासन तो चुनावी गणित से चलता है, लेकिन प्रशासन में हमारी प्रतिभा का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। जो भी हमारे अधिकारी अपने प्रशासनिक क्षमता, अपनी बौद्धिक कौशलता के बल पर प्रशासन के शिखर पर पहुँचे हैं या प्रशासनिक दायित्त्व को सम्भाल रहें हैं, उन्हें चाहिए कि वे अपने दायरे में रहते हुए जैन धर्म की प्रभावना के लिए जितना अधिक से अधिक काम कर सकें, करें। अन्य लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। यहाँ एन-के सेठी साहब प्रशासन के क्षेत्र में रहे, इस क्षेत्र से भी बहुत जुड़े रहे। यहाँ एन एम कासलीवाल साहब जो रिटायर्ड जस्टिस हैं। जिन लोगों ने प्रशासनिक क्षेत्र में रहते हुए समाज की सेवा की है, हमें उनसे एक प्रेरणा लेनी चाहिए कि हम अपने दायरे में रहते हुए धर्म-समाज का कितना अच्छा काम कर सकें।

मैं मानता हूँ कि एक प्रशासनिक अधिकारी यदि पूरी तरह समर्पित हो जाए, तो जो काम वो कर सकता है वो कोई दूसरा व्यक्ति नहीं कर सकता। इसलिए पूरी तरह अपने निष्ठा को ध्यान में रखते हुए भविष्य में ऐसा ही कार्य करो, तभी तुम्हारे प्रशासनिक अधिकारी होने की सार्थकता है।

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