जैन धर्मायतनों में रात्रि भोजन और व्यावसायीकरण कितना उचित?

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शंका

जैन धर्मायतनों में रात्रि भोजन और व्यावसायीकरण कितना उचित?

समाधान

देखो, रात्रि भोज का तो कतई औचित्य नहीं है, यह तो सर्वथा निषिद्ध है। और व्यावसायीकरण करने की भी कोई आवश्यकता नहीं है। पर मुश्किल यह है कि धर्मायतनों को न धन की आवश्यकता है, न व्यवसाय की। पर धर्मायतनों की रक्षा करने वाले जब व्यावसायिक मानसिकता के हो जाते हैं, तो इस तरह की व्यावसायिक बातें प्रकट होने लगती हैं। जो भी हो बैठकर के विचार करने की आवश्यकता है।

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