सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए बच्चियों को क्या मार्गदर्शन दें?

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शंका

श्री सुधा जी जैन एमएलए ने कहा कि नारी प्रताड़ना का शिकार हो रही है, पुरुष प्रधान समाज है। लेकिन यह एक पक्ष है। मैं विदिशा में पुलिस परामर्श केंद्र में कई वर्षों तक काउंसलर का काम देखती रही हूँ। अधिकतर मामलों हमने पाया कि महिलाओं को जो विशेष अधिकार दिए जाते हैं, उसका दुरुपयोग हो रहा है। एडवोकेट महिलाओं के पक्ष में बहुत सारी धाराएँ लगाकर दहेज प्रताड़ना इत्यादि के झूठे केस लगा देते हैं। आज newly married बच्चियाँ अपने पति के चादर के अनुसार पैर नहीं पसारना चाहती है, माँ – बाप को नहीं रखना चाहती हैं, बच्चे नहीं रखना चाहती हैं। सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए बच्चों और बच्चियों को क्या मार्गदर्शन दिया जाए?

समाधान

मैं Nutshell (संक्षेप) में कहूँगा – एक दूसरे के पूरक और प्रेरक बनकर के चलें, दांपत्य जीवन में सदैव माधुर्य बना रहेगा। पूरक बनें, प्रेरक बनें, प्रतियोगी और प्रतिद्वंदी न बने।

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