शंका
चातुर्मास और विधान आदि धार्मिक आयोजन कराने का फल!
समाधान
जब किसी की दृष्टि खुलती है तभी वह साधु बनता है, साधु की दृष्टि खुद के प्रति खुलती है और जिसकी दृष्टि खुद के प्रति खुलती उसकी सब के प्रति खुली रहती है|
अगर अंतर्मन से कोई चातुर्मास, विधान आदि कराता है, वह ऐसा पुण्य पाता है कि कालांतर में साधु बनता है और दुनिया उनके चातुर्मास को लालायित होती है।
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