नियम का निष्ठापूर्वक पालन करें!

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शंका

महाराज जी! 2004 में आपका चातुर्मास सतना में हुआ था तो उसमें आपने बताया था कि “अगर कोई नियम या संकल्प ले तो उसके टूटने का दुष्परिणाम क्या होते हैं?” लेकिन क्या कारण है कि आपके सामने जो संकल्प या नियम लिए जाते है उनमें इतनी मज़बूती रहती है कि वो संकल्प तो पूरा होता ही है और अन्य उद्देश्य संकल्प में भी मज़बूती या will power develop हो जाता है?

समाधान

नियम या संकल्प निष्ठा से फलीभूत होते है। यदि मनुष्य निष्ठा-पूर्वक कोई नियम लेता है तो सारे जीवन उसे निभाता है और बगैर निष्ठा के कोई नियम लिए जाये तो इधर नियम लेते हैं, उधर तोड़ देते हैं। इसलिए मैं कहना चाहता हूँ कि जब भी कोई नियम लो, निष्ठा-पूर्वक लो और लिए गए नियम को दृढ़ता पूर्वक निभाओ और कभी भी कोई नियम लो तो उस नियम को अपने अनुकूल मत ढालो, स्वयं को नियमों के अनुकूल ढालो और जो व्यक्ति ऐसा करता है वही आगे बढ़ता है। नियम या संकल्प लेने का मतलब अपने आप के प्रति कोई एक बड़ी प्रतिबद्धता (commitment) करना और आज के युग में commitment को बहुत बड़ी बात माना जाता है। जो commitment को fulfill (पूरा) करना नहीं जानता वो जीवन में कुछ नहीं कर पाता। मैं कहता हूँ जो स्वयं के प्रति किये गए commitment को fulfill नहीं कर सकता वो दुनिया में कुछ भी नहीं कर सकता इसलिए नियम लो तो दृढ़ता से निभाओ और एक बार नियम को निभाने में समर्थ हो जाओगे तो तुम्हारे जीवन में कभी कोई दुविधा नहीं आ पायेगी।

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