शादियों में फ़िज़ूलख़र्ची, पूजन सामग्री में कंजूसी!

150 150 admin
शंका

शादियों में फ़िज़ूलख़र्ची, पूजन सामग्री में कंजूसी!

समाधान

अच्छे कार्य में पैसा उन्हीं का लगता है जिनका तीव्र पुण्य का उदय होता है। बुरे कार्य में पैसे व्यक्ति के कदम-कदम पर लगते हैं, लेकिन अच्छे कार्य में पैसा लगाने के लिए बहुत पुण्य चाहिए। शादी, ब्याह, पार्टी बाजी और अन्य तरह के कार्यक्रमों में फिज़ूलखर्ची के रूप में लोग लाखों रुपया बिना गिने फूंक देते हैं। लेकिन धर्म के कार्य में जब पैसा लगाने की बात आती है, तो बहुत सोचना पड़ता है। मुझे वह दोहा याद आ रहा है कि 

“फूटी आँख विवेक की, कहा करें जगदीश, कंचनिया को तीन सौ, मनीराम को तीस”

बहुत पुरानी कहावत है आज की नहीं है। ये मनुष्य की मनोवृत्ति की बात है। हमें चाहिए कि अच्छे कार्य में जब-जब भी खर्च करना पड़े तो बिना गिने करें। बुरे कार्य में अगर खर्च करना पड़े तो हिसाब से करें, तब हमारा काम सही होगा, सार्थक होगा। आज ऐसे लोग भी समाज में बहुत हैं जो बुरे कार्य में एक पैसा खर्च नहीं करना चाहते और जब कोई बात आती है, तो अच्छे कार्य में खुले दिल से उसका उपयोग करते हैं।

Share

Leave a Reply