धार्मिक स्थानों पर अंग्रेजी दवाइयों के अस्पताल?

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शंका

वर्षों पहले जैन समाज द्वारा अहिंसक उपचार हेतु आयुर्वेदिक चिकित्सालय खोले गए थे। परन्तु वर्तमान में जैन समाज द्वारा आधुनिक वातावरण को देखते हुए अधिकांश मन्दिर परिसरों व सन्त निवासों एवं अन्य स्थानों पर अभक्ष्य पदार्थों द्वारा निर्मित औषधियों के माध्यम से चिकित्सा हेतु चिकित्सालय खोले जा रहे हैं, जिनका त्यागी-व्रती के लिए भी कोई उपयोग नहीं है। यह कहाँ तक उचित है? कृपया मार्गदर्शन दें।

समाधान

हमारी कोशिश अहिंसा धर्म की प्रतिष्ठा को बढ़ाने की होनी चाहिए। जो हमारी पुरानी परिपाटी थी वही सही परिपाटी थी। आज के समय में तो आयुर्वेद में ज़्यादा नए-नए शोध हुए हैं और आयुर्वेद की पद्धति इतनी ज़्यादा विकसित हो गई कि मेरे सम्पर्क में बहुत से एलोपैथी चिकित्सक, स्वयं  आयुर्वेद का treatment (उपचार) लेते हैं और आयुर्वेद का इलाज करते हैं। हमें चाहिए कि अपनी इस मूल भारतीय परम्परा को आगे बढ़ाएँ।

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