क्या पूजन-विधान से सम्यक दर्शन होता है?

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शंका

क्या पूजन-पाठ-विधान आदि से हम लोगों को सम्यक् दर्शन हो सकता है?

समाधान

आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी ने कहा है कि सम्यक् दर्शन हो नहीं सकता, सम्यक् दर्शन है। जब जिनेन्द्र भगवान के बिम्ब के दर्शन मात्र से कर्म नष्ट हो सकते हैं तो भगवान की पूजा पाठ से तुम्हारे भीतर का सम्यक्त्व प्रकट क्यों न हो? 

आचार्य पूज्यपाद महाराज ने जिनेन्द्र भगवान की पूजा को ‘सम्यक्त्ववर्धनी’ क्रिया की संज्ञा दी। ये ऐसी क्रिया है जो हमारे सम्यक् दर्शन को मात्र उत्पन्न ही नहीं करती, अपितु उसकी वृद्धि भी करती है, उसका विकास करती है। इसलिए ऐसी क्रिया को खूब प्रसन्न भाव से करना चाहिए।

 सम्यक् दर्शन के लिए आचार्य समन्तभद्र महाराज ने विशेषण दिया कि जिनपति पद्मप्रेक्षणी सम्यक् दृष्टि रूपी लक्ष्मी किसको देखती है? जिनेन्द्र भगवान के कमल रूपी चरणों को ही देखती है। तो सम्यक् दृष्टि वह है जो सदैव भगवान के चरणों का अनुरागी बना रहे और उनकी भक्ति ही उसे मुक्ति दिलायेगी। सम्यक्त्व तो बहुत छोटी बात है।

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