शंका
क्या जैन सिद्धान्त में दूसरे ग्रहों पर जीवन का वर्णन है?
समाधान
वर्तमान में जितने भी ग्रह हैं, जिस खगोलीय व्यवस्था के तहत हैं उसका सीधा-सीधा जैन सिद्धान्त से कोई तालमेल नहीं मिलता। हमारे बहुत सारे ग्रन्थ नष्ट हो गए हमारे पास पूर्ण विवरण भी उपलब्ध नहीं है। हमारे शास्त्रों में जो वर्णन है वह शाश्वत पृथ्वी का है और हम जहाँ रह रहे हैं वो अशाश्वत है। इसका कोई वर्णन हमारे पास नहीं है, इसलिए इस विषय में कुछ कहना उचित नहीं है।
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