क्या फूल की एक कणिका को तोड़ने से मुनि हत्या का पाप लगता है?

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शंका

उमास्वामी श्रावकाचार में लिखा है-‘फूल की एक कणिका को तोड़ने से यति (मुनि) हत्या का पाप लगता है?’ इसके बारे में बताइये।

समाधान

उमास्वामी श्रावकाचार में किस संदर्भ में लिखा है मैं ये नहीं कहता, पर ये बात सही है कि फूल सचित्त वस्तु है उसका अविघात नहीं करना चाहिए। फूल डाल पर शोभते है आपके हाथ में नहीं। फूलों की शोभा डाल पर है, पौधों पर है उन्हें वहीं रहने देना चाहिए, उन्हें तोड़ना नहीं चाहिए। 

जहाँ तक उमास्वामी श्रावकाचार की बात है, तो हमारे यहां दो श्रावकाचार हैं- एक उमास्वामी हैं और एक आचार्य कुन्दकुन्द हैं। लेकिन ये दोनों बातें निराधार हैं। ये उमास्वामी एक भट्टारक उमास्वामी हैं जिनका मूल उमास्वामी तत्त्वार्थ सूत्र के रचयिता से कोई लेना देना नहीं है। और दूसरे क्रम में जो कुन्द कुन्द श्रावकाचार है ये भी एक भट्टारक के द्वारा प्रतिपादित पन्द्रहवीं-सोलवीं शताब्दी की रचना है। इसमें भी आचार्य कुन्दकुन्द से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन इस में कुछ बातें ऐसी भी हैं जो मूलभूत जैन आगम से संबंध नहीं है इसलिए उसमें जितना समझ में आये उतना ही ग्रहण करो।

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