दुखी जीवों को देखकर दुखी होने से क्या असाता कर्म का बन्ध होता है?

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शंका

दुखी जीवों को देखकर यदि व्यक्ति दुखी होता है, तो क्या उस व्यक्ति को असाता कर्म का बन्ध होता है?

नैना बाकलीवाल, जयपुर

समाधान

किसी को ऐसा देखकर भावनात्मक रूप से असाता कर्म का बन्ध होता है। लेकिन दुखी होना और द्रवीभूत होना- दोनों में अन्तर है। द्रवीभूत होना हमारी सम्वेदना की अभिव्यक्ति है, जो करुणा के प्रकटीकरण का एक रूप है, उससे पुण्य का बन्ध होगा, पाप का नहीं। वरना फिर दया और करुणा जैसे शब्द ही लुप्त हो जाएँगे।

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