क्या अन्य धर्मों के ग्रंथों का अध्ययन करने से हमें कोई दोष लगता है?

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शंका

क्या अन्य धर्मों के ग्रंथों का अध्ययन करने में हमें कोई दोष लगता है?

समाधान

अध्ययन तो आप किसी का भी कर सकते हैं लेकिन आपके पास इतनी समझ होनी चाहिए कि उस ग्रंथ का अध्ययन करने के बाद आप उसके सार को ग्रहण करें, असार को नहीं। अगर आप वीतरागता की अवधारणा को पुष्ट करते हैं तब तो आपका अध्ययन ठीक है; और यदि आप वीतरागता के मार्ग से भटक जाते हैं, तो आपका अध्ययन गलत होगा। कहते हैं- बच्चे को घी का हलवा नहीं खिलाया जाता – क्योंकि उसका liver (यकृत) कमजोर होता है; पहलवान को घी का हलवा खिलाया जाता है, घी पिलाया जाता है क्योंकि उसका liver (यकृत) मज़बूत होता है। आप अपने “liver (यकृत)” की स्थिति देखिए, तब काम कीजिये।

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