क्या भगवान महावीर स्वामी ने पारसनाथ भगवान की पूजा की थी और क्या वे उनसे प्रभावित थे? क्या पारसनाथ नेमीनाथ भगवान से प्रभावित थे? कैसी परिपाटी चली आ रही थी?
भगवान महावीर या भगवान पारसनाथ या अन्य जो भी थे, उन तीर्थंकरों में और हम में बहुत अन्तर होता है। हम उनके अनुयायी हैं। हम उनके बने-बनाये रास्ते पर चलते हैं। तीर्थंकर वे होते हैं जो खुद अपना रास्ता बनाकर के चलते हैं। तीर्थंकर आत्म-आराधक होते हैं। उनको किसी अन्य की आराधना की जरूरत नहीं होती है। वो खुद आत्मा के अन्तर-मन्थन से अपना अवलोकन करते हैं। वो धर्म के मर्म को जानते हैं, और जो नवनीत हाथ में लगता है वही हम सब भव्य जीवों के लिए प्रदान करते हैं।
तीर्थंकर कभी किसी की पूजा नहीं करते, वो तपस्या करते हैं, और संपूर्ण जगत द्वारा पूजा के योग्य बन जाते हैं। उन्हें हम अरहंत कहते हैं। मतलब जो अपनी आत्मा की पवित्रता के परिणाम स्वरूप जगत पूज्यता को प्राप्त कर लें, वो तीर्थंकर होते हैं। तो ऐसे तीर्थंकर की बातें हमारे जीवन में आती हैं। वे स्व-आराधक होते हैं, स्वयंभू होते हैं। उन्हें किसी अन्य कि आराधना की जरूरत नहीं पड़ती है।
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