क्या पूर्व कर्मों से ही भविष्य का निर्माण होता है?

150 150 admin
शंका

हमारा जैन धर्म कर्म सिद्धान्त पर आधारित है। हमारा भविष्य और किस्मत हमारे कर्मों के आधार पर निर्धारित होती है। भविष्य में हम क्या कर्म करेंगे, क्या ये भी हमारे पूर्व के कर्मों के आधार पर निर्धारित होते हैं?

समाधान

अगर सब कुछ पूरी तरह कर्म के आधार पर ही निर्धारित हो, तो हम कभी कर्म से मुक्त नहीं हो सकेंगे। कर्म हमारे भविष्य को गढ़ता है, लेकिन हमारा सम्पूर्ण भविष्य कर्म ही गढ़ता है, ऐसा नहीं हैं। जब मनुष्य का पुरुषार्थ प्रबल होता है, तो कर्म कमजोर हो जाता है और जब मनुष्य का पुरुषार्थ मंद होता है, तो कर्म बलवान बन जाता है। इसलिए यद्यपि हम आज तक जो कुछ भी कर रहे हैं वो कर्म के परिणाम से कर रहे हैं। लेकिन इस घड़ी में हमारी चेतना जागृत हो जाए तो हम कर्म की सत्ता को खत्म कर सकते हैं। तो कर्म की सत्ता से बड़ी धर्म की सत्ता होती है। तो धर्म के आचरण से हम अपने जन्म-जन्मांतरो के कर्मों को एक क्षण में नष्ट कर सकते हैं।

Share

Leave a Reply